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किसी भी कैंसर के लक्षणों की समय पर पहचान ही मरीज के लिए पहली सुरक्षा- dumraon

 


- डुमरांव पीएचसी में आशा कार्यकर्ताओं को कैंसर स्क्रीनिंग करने की दी गई जानकारी
- ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान करने के संबंध में किया गया उन्मुखीकरण

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले के डुमरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण हुआ। जिसमें उन्हें ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान करने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। उक्त कार्यक्रम होमी भाभा कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर के तत्वावधान में संचालित किया गया। जिसमें ओआईसी डॉ. वरूण संकृत ने आशा कार्यकर्ताओं को कैंसर के विभिन्न लक्षणों से अवगत कराया। डॉ. संकृत ने बताया, महिलाओं में ओरल कैंसर से अधिक  ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले अधिक आते हैं। देश में प्रति एक लाख महिलाओं में 26 से 30 महिलायें स्तन कैंसर से ग्रसित हैं। स्तन में गांठ पड़ना, स्तन में दर्द एवं खुजली होना, स्तन की त्वचा में गड्ढे पड़ना, त्वचा पर नारंगी रंग के चकत्ते पड़ना आदि स्तन कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं। समय-समय पर स्तनों की खुद से जांच कर स्तन कैंसर से बच सकते हैं। अल्ट्रासाउंड या मैमोग्राम के द्वारा इस बीमारी का पता लगाया जाता है। जितनी जल्दी कैंसर का पता चलता है, उसी अनुसार शत-प्रतिशत सफल इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है। 
समय पर पहचान से इलाज संभव :
डॉ. वरूण संकृत ने बताया, सर्वाइकल कैंसर होने का मुख्य कारण ह्यूमन पैपोनिमा वायरस है। महिलाओं में यह समस्या तब आती है, जब वे कई बार गर्भधारण करती हैं। समय से पता चल जाने पर इसका इलाज संभव है। इससे बचने के लिए टीके लगवाएं और हर तीन साल में पैप स्मियर टेस्ट कराएं। यह किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन इसका खतरा 50 वर्ष से अधिक आयु की उम्र की महिलाओं में अधिक होता है। उन्होंने बताया, कुछ ही कैंसर ऐसे होते हैं जिनके लक्षण आने से पहले स्क्रीनिंग कर पता लगाया जा सकता है। महिलाओं में पाए जाने वाले स्तन और सर्वाइकल कैंसर इन्हीं में आते हैं। ये बड़ा रूप लें, इससे पहले इनका इलाज संभव है। ऐसे में हर महिला को जागरूक रहने की आवश्यकता है।
शुरुआती लक्षण का पता लगाया जा सकता है :
डॉ. संकृत ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि ओरल कैंसर के शुरुआती लक्षण का पता लगाया जा सकता है। स्क्रीनिंग के दौरान देखना होगा कि मरीज के मुंह या जीभ की परत पर धब्बे तो नहीं है। वहीं, मुंह में छाले, मसूड़ों का मोटा होना, दांतों का ढीला होना, मुंह से खून बहना, कान में दर्द, जबड़े में सूजन आना, गले में खराश सा महसूस होना, चबाने या निगलने में कठिनाई होना, मुंह ना खुलना, मुंह में सफेदी आना, गर्दन में गांठ महसूस होना के अलावा मुंह में लाल दाग होना। हालांकि, कई मामलों में यह भी होता है की इनमें से कोई भी लक्षण होने का मतलब यह नहीं है कि आपको मुंह का कैंसर है। लेकिन फिर भी वे मरीजों को जांच कराने के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद, बीएचएम अफरोज आलम, बीसीएम मोहम्मद तसलिम, एमओई उमेश कुमार शामिल रहें।


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