- बारिश व उमस के बीच रहता है टायफाइड, चिकनगुनिया समेत अन्य बीमारियों का खतरा
- लगातार बुखार रहने पर अनिवार्य रूप से कराएं खून की जांच, लें चिकित्सीय परामर्श
(बक्सर):- बीते दिनों जिले में हीट स्ट्रोक के बाद अब लोग उमस भरी गर्मी व बारिश से परेशान हैं। वहीं, तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण मौसमी बीमारियों की भी संभावना बढ़ गई। ऐसे में हर आयु वर्ग के लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। दरअसल, ऐसे मौसम में कई तरह की बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ गया है। इस मौसम में डायरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के साथ-साथ कोविड का जहाँ खतरा है वहीं, टायफाइड का भी खतरा तेज हो गया है। इसलिए, ऐसे मौसम में हर आयु वर्ग के लोगों को टायफाइड से बचाव के लिए विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।
साफ-सफाई का भी ध्यान रखना जरूरी :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, टायफाइड होने के कई कारण हैं। लेकिन, मुख्य रूप से गंदा (दूषित) पानी और भोजन का सेवन होता है। इसलिए, इस बीमारी से बचाव के लिए सभी लोगों को शुद्ध पेयजल और भोजन का सेवन करना चाहिए। साफ-सफाई का भी ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए, गर्मी और बरसात के मौसम में पानी व भोजन का विशेष ध्यान रखा चाहिए। ऐसे मौसम में टायफाइड यानी मियादी बुखार के मरीज अधिक मिलते हैं। टायफाइड सालमोनेला टाइपी नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला एक गंभीर रोग है। यह बैक्टीरिया दूषित पानी एवं संक्रमित भोजन में पनपते हैं। गंदे परिवेश वाली जगहों पर टायफाइड फैलने की संभावना अधिक होती है।
लिवर में हो जाती है सूजन :
दूषित पानी व संक्रमित भोजन के सेवन से व्यक्ति मियादी बुखार से ग्रसित हो जाता है। टायफाइड के कारण लिवर में सूजन हो जाती है। ऐसे में साफ पानी और भोजन का ध्यान रखना जरूरी है। सब्जियों का सही से नहीं धोना, शौचालय का इस्तेमाल नहीं होना और खुले में मलमूत्र त्याग करना, खाने से पहले हाथों को नहीं धोना आदि कई कारणों से टायफाइड हो सकता है। तेज बुखार के साथ दस्त व उल्टी होना, बदन दर्द रहना, कमजोरी और भूख नहीं लगना टाइफाइड के प्रमुख लक्षण हैं। इसके साथ ही पेट, सिर और मांसपेशियों में भी दर्द रहता है।
तत्काल चिकित्सीय परामर्श लें :
टायफाइड पाचन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है। खून की जांच कर इसका पता लगाया जाता है। बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में बुखार के लंबे समय तक रहने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। टायफाइड होने पर मरीज को पूरी तरह आराम करना चाहिए। उन्हें ऐसे भोजन दिये जाने चाहिए जो आसानी से पचाया जा सके। पीने के लिए उबाले हुए पानी को ठंडा कर दें। रोगी को मांस-मछली का सेवन नहीं करने दें। अधिक से अधिक तरल पदार्थ लेना बेहतर है। भोजन में हरी सब्जियां, दूध और पाचन तंत्र को बेहतर बनाये रखने वाले भोजन लें। ताजे मौसमी फल का सेवन करें।
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