• सभी प्रकार के दिव्यांगों को चिन्हित करने के लिए आशा करेंगी सर्वेक्षण
• सर्वे के सफल संचालन के लिए आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- सरकार व स्वास्थ्य समिति दिव्यांगजनों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन करती है। ताकि, उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। वहीं, दिव्यांगजनों का मनोबल बढ़ाने और उनके प्रति लोगों की मानसिकता को बदलने के उद्देश्य से पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगता दिवस मनाया जाता है। लेकिन, अब सरकार दिव्यांगजनों को जीवनयापन का जरिया मुहैया कराने के साथ उन्हें स्वावलंबी बनाने की ओर कदम उठा रही है। ताकि, हर दिव्यांग आर्थिक सशक्त बनाने के साथ सम्मान पूर्वक जीवन जीने में सक्षम हो सके। इसी उद्देश्य से अब जीविका के माध्यम से दिव्यांगजनों को स्वयं सहायता समूहों के साथ जोड़ा जाएगा। इसके लिये पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले सदर प्रखंड में सर्वेक्षण का काम किया जाएगा। जिसके माध्यम से विभिन्न वर्गों के दिव्यांगजनों को चिन्हित किया जायेगा और फिर बैठक कर उन्हें स्वयं सहायता समूहों व रोजगार के सम्बंध में जानकारी दी जाएगी। उक्त योजना के सफल संचालन के लिए गुरुवार को सदर प्रखंड की 30 आशा कार्यकर्ताओं को एनएलआर फाउंडेशन की ओर से प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें सर्वेक्षण की बारीकियों से अवगत कराया गया। इस दौरान फाउंडेशन के राज्य समन्वयक शम्भूनाथ तिवारी के अलावा स्वास्थ्य प्रबंधक सुशील कुमार, बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह व पीएमडब्लू नागेश दत्त पांडेय मौजूद रहे।
दिव्यांगता के आधार पर होगा समूहों का निर्माण :
एनएलआर फाउंडेशन के राज्य समन्वयक शम्भूनाथ तिवारी ने बताया, दिव्यांगजनों के स्वयं सहायता समूह का निर्माण कर उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, सशक्तिकरण और सामाजिकरण का कार्य किया जायेगा। वहीं, दिव्यांगों को उनकी दिव्यांगता के आधार पर वर्गीकरण कर स्वयं सहायता समूहों का निर्माण किया जाएगा। शुरुआती चरण में एसएचजी से जुड़े प्रत्येक दिव्यांग का बैंक खाता खुलवाना है। एसएचजी का भी एक बचत बैंक खाता होगा। प्रत्येक एसएचजी ग्रुप के लिए दो तरह के फंड का निर्धारण किया गया है। रिवॉल्विंग फंड के तहत एसएचजी को 50 हजार दिए जाएंगे। ग्रुप के सदस्य इसे पूंजी के तौर पर प्रयोग करेंगे। वहीं, दिव्यांग के सेल्फ हेल्प ग्रुप में पुरुष महिला और बच्चे सदस्य होंगे। लेकिन एसएचजी की मुखिया हर हाल में महिलाएं ही होगी, जो ग्राम संगठन में प्रतिनिधित्व करेंगी। कम आयु के दिव्यांगजनों के माता-पिता में से कोई एक एसएचजी के सदस्य हो सकेंगे।
दिव्यांगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण :
दिव्यांगों को सेल्फ हेल्प ग्रुप का मानक प्रशिक्षण दिया जाना है। जीविका दीदियां अन्य अधिकारियों व प्रशिक्षक दिव्यांगजनों को विशेष प्रशिक्षण देने का काम करेंगीं। दिव्यांगों को एक तरफ दिनचर्या के दौरान जरूरी कार्य को दक्षता के साथ निपटाने का प्रशिक्षण मिलेगा तो दूसरी तरफ नेतृत्व की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। आमतौर पर महिला दिव्यांग घरों से निकलने में परहेज करती हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उनको बैंक सरकारी संस्थान टिकट बुकिंग जैसे कार्यों को स्वयं से निपटाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।सरकारी योजना में उनकी पात्रता और उसका लाभ लेने के गुर सिखाए जाएंगे।
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