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राज्य की करीब 19 लाख आबादी विकलांगता से पीड़ित- world-poppulation


 



“लीडरशिप एंड पार्टिसिपेशन ऑफ़ डिसेबल्ड पर्सन टुवर्ड्स एन इंक्लूसिव, एक्सेसअबल पोस्ट कोविड वर्ल्ड” है इस वर्ष की थीम   
विश्व की 15 प्रतिशत आबादी विकलांगता के किसी न किसी प्रकार से ग्रसित- विश्व स्वास्थ्य संगठन 
हाथीपांव यानी फाईलेरिया भी विकलांगता का है एक प्रमुख कारण  

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/पटना):- विकलांगता किसी भी व्यक्ति के लिए अभिशाप साबित हो सकता है और इसके बारे में जनमानस को जागरूक करने हेतु हर वर्ष 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है. कुछ नवजातों में जन्म के समय से ही विकृतियाँ होती हैं। ये विकृतियाँ या जन्मजात रोग कभी-कभी उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं। लेकिन सही समय पर इन विकृतियों को पहचान कर इलाज करवाने से नवजात को उन विकृतियों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अलावा कई रोग जैसे फाईलेरिया व्यक्ति को शारीरिक एवं सामाजिक रूप से विकलांग बना देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया की कुल आबादी का करीब 15 प्रतिशत विकलांगता के किसी न किसी स्वरुप से ग्रसित है. 
राज्य की करीब 19 लाख आबादी विकलांगता से पीड़ित:
2011 की राष्ट्रीय जनगणना(सेंसस) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में करीब 2.19 करोड़ की आबादी विकलांगता के किसी न किसी स्वरुप से ग्रसित है. राज्य में राष्ट्रीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार करीब 19 लाख की आबादी किसी न किसी प्रकार के विकलांगता से ग्रसित है. 
फाईलेरिया से ग्रसित व्यक्ति शारीरिक एवं सामाजिक तौर पर होता है विकलांग:
जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने बताया फाईलेरिया व्यक्ति को शारीरिक एवं सामाजिक रूप से विकलांग बना देता है. जागरूकता का अभाव एवं स्वच्छता को नजरंदाज करना इसके प्रमुख कारण हैं. फाईलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा समय समय पर एमडीए कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है जिसमे लोगों को घर घर जाकर फाईलेरिया की दवा खिलाई जाती है. कोई भी व्यक्ति अगर साल में एक बार लगतार पांच साल तक दवा का सेवन करता है तो वह ताउम्र इस रोग से सुरक्षित रहता है. फाईलेरिया एक संक्रामक रोग है जो मच्छर के काटने से होता है और ज्यादातर इसे हाथीपांव के नाम से जाना जाता है. यह स्थिति शारीरिक एवं मानसिक रूप से कष्टदायक होती है और ग्रसित व्यक्ति सामाजिक तिरस्कार का भागी हो सकता है.  
विकृतियों को पहचानने से इलाज होगा आसान: 
पीएमसीएच के शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ. ए.के. जयसवाल ने बताया जन्मजात विकृतियों में कई जटिलताएं शामिल होती हैं। जिसमें शिशुओं के फटे होंठ या तालु, पैरों का मुड़ा होना (क्लब फूट), डाउन सिंड्रोम (बौनापन, असामान्य आकार के शारीरिक अंग, चपटी नाक या चेहरा, मानसिक वृद्धि में रुकावट) मल त्याग करने के रास्ते का नहीं बनना, श्वास नली में अधिक समस्या, जन्मजात अंधापन या बहरापन, सर का आकार सामान्य से अधिक हो जाना, ह्रदय में छिद्र या ह्रदय संबंधित गंभीर समस्या का होना एवं स्पाइनल कॉर्ड विकृति जैसे अन्य रोग भी शामिल हैं। इनमें से कुछ विकारों को आसानी से देखा जा सकता है किन्तु अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं को समझने के लिए नवजात पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। इनका ससमय चिकित्सीय प्रबंधन नवजात को विकलांगता के अभिशाप से बचा सकता है.


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