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जज्बे को सलाम : फ्रंट लाइन वर्कर्स की बदौलत ही ‘100 करोड़ का टीकाकरण’ का लक्ष्य पूरा हुआ- national-vacctination





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- राष्ट्रीयव्यापी टीकाकरण अभियान में अब एक और नया अध्याय जुड़ गया है। जो देश के लिये गौरव की बात है। सरकार से लेकर आम जन तक के सहयोग से देश में ‘100 करोड़ का टीकाकरण’ का लक्ष्य पूरा हो सका है। इसमें सरकार व स्वास्थ्य विभाग का कार्य सराहनीय रहा, वहीं फ्रंट लाइन वर्कर्स की भूमिका भी अहम रही। चाहे वो एएनएम हो या आशा कार्यकर्ता या फिर आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाएं सभी अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी का भरपूर निर्वहन किया। जिसकी बदौलत जिला समेत पूरा देश आज इतने बड़े लक्ष्य की प्राप्ति का जश्न मना रहा है। लेकिन, इस लक्ष्य की प्राप्ति में फ्रंटलाइन वर्कर्स की मेहनत व उनकी कुर्बानियों को नकारा नहीं जा सकता। जिन्होंने अपनी खुशियों को त्याग कर जनसेवा में अपना समय न्योछावर किया। आइये जानते हैं फ्रंटलाइन वर्कर्स के संघर्ष की कहानी, उनकी जुबानी :-
परिवार की खुशियों को छोड़ निभानी पड़ी जिम्मेदारी : 
‘100 करोड़ का टीकाकरण’ का लक्ष्य पूरा होने की खबर से काफी खुशी मिली। जिसके बाद मेरे जैसी एएनएम व उनके संघर्षों की छवियां मन में आने लगी। कोरोनाकाल के शुरुआती दौर से ही घर-परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना मूमकिन नहीं रहा। जिसके कारण मन परिवार व बच्चों की फिक्र में ही रहता। वहीं, टीकाकरण शुरू होने के बाद थोड़ी सहूलियत मिली। कम से कम बच्चों के साथ समय बिताने का समय निकलने लगा। लेकिन, इस दौरान भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कभी टीका देने के दौरान कई लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ा, तो कभी दूर-दराज के टोलों में पैदल जाकर लोगों को टीका देना पड़ा। परंतु, छोटी-छोटी कुर्बानियों का परिणाम सफल रहता है, तो मन को काफी सुकुन मिलता है।‘ - बबिता देवी, एएनएम, सदर प्रखंड
लोगों की खरीखोटी सुनने के बाद भी उन्हें टीका लेने के लिये करना पड़ा प्रेरित :
‘जिम्मेदारी चाहे घर की हो या अपने कार्य क्षेत्र की सभी का निर्वहन समान रूप से करना पड़ता है। समाज के दूसरे लोगों को भी अपने परिवार का हिस्सा मानते हुये उनको समझाना पड़ता है। ऐसी ही स्थिति टीका के लिये लोगों को जागरूक करने के दौरान होता है। पूर्व में लोगों को टीका लेने के लिये प्रेरित करना एक टेढ़ी खीर होती थी। लोग भ्रांतियों के चक्कर में खरीखोटी सुनाते। ग्रामीण इलाकों में लोग कई बार मजाक उड़ाते थे। लेकिन, अपनी जिम्मेदारी की महत्ता को देखते हुये सभी को मुस्कुराकर ही जवाब देती और उन्हें समझाती। जिसकी बदौलत आज पांडेयपट्टी के सभी लोग टीका लेने के लिये जागरूक हो सके।‘ – नीतू देवी, आशा कार्यकर्ता, पांडेयपट्टी, सदर प्रखंड
बुजुर्गों को मोबलाइज करने में होती थी परेशानियां :
‘टीकाकरण के लिये पोषण क्षेत्र में लोगों को जागरूक करते हुये उन्हें टीकाकरण केंद्रों तक लाना हमारे लिये काफी बड़ी चुनौती रही। इस काम में सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गों को समझाने में होती थी। परंतु तमाम परेशानियों को दरकिनार कर लोगों को मोबलाइज करने में सफलता मिली। वहीं, गर्भवती महिलाओं और धातृ महिलाओं को भी टीका लेने का काम कठिन रहा। कई बार तो गर्भवती महिलाओं के परिवार टीका दिलाने के नाम पर भड़क जाते और सरकार और स्वास्थ्य विभाग को बुरा-भला कहते। लेकिन, सभी को समझाते हुये और टीके की जानकारी देते हुये इस परेशानी को भी दूर कर दिया गया। देश ने आज 100 करोड़ का टीकाकरण का लक्ष्य पूरा किया है, जिससे काफी खुशी मिल रही है।‘ – लीलावती देवी, सेविका, कोड संख्या-47, डुमरांव


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