(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से राज्य सरकार के निर्देश से आगामी 20 सितंबर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) की शुरुआत की जाने वाली है। जिसको लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। फिलवक्त जिले की सभी आशा कार्यकर्ताओं को माइक्रोप्लान तैयार करने का काम दिया गया है। जिसके आधार पर एमडीए का अभियान शुरू किया जाएगा। साथ ही, अभियान की सफलता को लेकर समुदाय स्तर पर अभी से जागरूकता अभियान चलाए जाने लगे हैं। जिसको और भी व्यापक करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि पूर्व की अपेक्षा लोगों में फाइलेरिया के प्रति जागरुकता बढ़ी है, लेकिन अभी इसके और विस्तार की जरूरत है।
सदर प्रखंड की आशा कार्यकर्ता नीतू कुमारी ने बताया, पूर्व की अपेक्षा लोगों फाइलेरिया की गंभीरता को अधिक समझने लगे हैं। पहले जब लोगों को दवा दी जाती थी, तब वह इसे लेने से मना करते थे। लेकिन, अब सरकार के निर्देश पर इसे सामने खिलाई जाती है। जो लोग गृह भ्रमण के दौरान छूट जाते हैं, उन्हें फॉलोअप कर दवा खिलाई जाती है। उन्होंने बताया, यह सब फाइलेरिया के प्रति जागरूकता अभियान के प्रचार प्रसार से ही संभव हो सका है।
जन-जागरूकता में कई विभागों की रहेगी भूमिका :
फाइलेरिया के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया, अभियान को सफल बनाने के लिए कई विभागों के द्वारा समन्वय स्थापित कर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसमें जीविका, शिक्षा विभाग के साथ पीसीआई की अहम भूमिका होगी। जिले के सभी स्कूलों में अभियान को लेकर प्रभात फेरी के साथ प्रार्थना सभा में इसके विषय में बच्चों को जागरूक किया जायेगा। जिले में गठित स्वयं सहायता समूहों में जीविका कार्यकर्ता अभियान के दौरान फाइलेरिया दवा के बारे में लोगों को अवगत कराएंगी। साथ ही यह सुनश्चित कराएंगी कि अभियान में दवा का सेवन शत-प्रतिशत हो।
ऐसे खानी है दवा :
इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियां लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को ये दवाइयां नहीं देनी है।
क्या है फाइलेरिया :
इसे हाथीपावं रोग के नाम से भी जाना जाता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरूआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।
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