Ad Code


भगवान की कथा आत्म रंजन का साधन है मनोरंजन का नही- गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी- gangaputra tridandi




(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-  पिछले कई दिनों से बक्सर के चौसा प्रखंड अंतर्गत कमरपुर पंचायत के गंगा तट स्थित जीयर मठ के मठाधीश महान संत परम ज्ञानी गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी महाराज का चतुर्मास उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जनपद के ऊंचाडीह स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में श्रीमद भागवत ज्ञान कथा के साथ चल रहा है। यहाँ प्रत्येक दिन श्री स्वामी के द्वारा संध्या काल में भक्तों को भागवत कथा सुनाई जा रही है।

इस दौरान गंगापुत्र महाराज ने भगवान के अवतारों एवं कलयुग के बारे में भक्तों को बताया। उन्होंने कहा कि एकबार ब्रम्हा जी नारद को भगवान के अवतारों की कथा सुना रहे थे,प्रथम अवतार वराह ,दूसरा,यज्ञ नारायण के रूप मे,कर्दम देवहूति के घर में वही कपिल बन के आए, अत्री जी के यहा, दतात्रेय के रूप मे आए,और सृष्टि के प्रारंभ में सनक,सनंदन,सनातन, सनदकुमार, के रूप में आएं,धर्म की पत्नी मूर्ति के गर्भ से नर,नारायण के रूप में आए, ध्रुव के ऊपर कृपा की, हरी मेधा ऋषि की पत्नी हिरनी के गर्भ से हरी रूप में आए, कुमार्गी वेन के शरीर का मंथन हुआ तो भगवान पृथु रूप में आए,राजा नाभी के सुदेवी के गर्भ से ऋषभ जी प्रकट भाए, येही भगवान ब्रम्हा जी के यज्ञ में हयग्रीव के रूप में प्रकट हुए,इन्ही के स्वास से वेद प्रकट हुए,भगवान की पीठ में खुजली हो रही थी,तो देव दैत्यों से समुद्र मंथन कराया,पीठ की खुजली मिटाने के लिए,भगवान को नींद आ गई,स्वास खींचने पर भाटा,और छोड़ने पड़ ज्वार,आज भी दिखता है, देवताओं के भय एवम प्रहलाद के ऊपर कृपा करने के लिए नृसीह रूप धारण किया, वही भगवान ने गजेंद्र के उपर भी कृपा की,एवम बलि के उपर कृपा करने के लिए,वामन रूप लिया, हे नारद तुम्हारे ऊपर प्रसन हो कर हंस रूप धारण किया,एवम धनवंतरी रूप में आयुर्वेद का प्रवर्तन किया,और जब वेद, ब्राह्मण द्रोही क्षत्रिय उत्पन होने लगे तब परशुराम रूप धारण किए, वही भगवान इक्ष्वाकु वंश में राम रूप में आए,और आगे कृष्ण,बलराम का अवतार होगा,फिर बुधावतार होगा उस समय हुआ नही था,फिर कलयुग में कल्कि अवतार होगा।

इस दौरान श्री स्वामी ने बताया कि कलयुग के स्वरूप के बारे में ब्रह्मा जी ने वर्णन किया।
यरहालये स्वपि सताम न हरे कथा स्यूः।। पाखंडिनो द्विज जना: ब्रिस्लानी देवा:।।
मंगल मयि कथा नही होगी,कथा को लोग मनोरंजन का साधन बना लेंगे, कथा आत्म रंजन का साधन है मनोरंजन का नही, और मनुष्य अंगूठे के पोर के समान होंगे कलयुग में,चने का पौधा वृक्ष नजर आएगा, तब भगवान कल्कि रूप में आयेंगे ,और पूरी धरती पर मलेक्षो का शासन होगा , तब भगवान मारकर इसी धरती पर पुन: सतयुग प्रारंभ होगा,ये ईलेक्सन का दुकान बंद हो जाएगा,जीत गया भाई जीत गया ,ठेला वाला जीत गया।और पुन:एक तरफ सूर्य वंश,और चंद्र वंश की गद्दी प्रतिष्ठित होगा, एक तरफ निमी जी महाराज और एक तरफ देवयापी जी महाराज राजा होंगे, जो अभी कल्प ग्राम में तपस्या में लगे हुए है।



................. ................. ............... ..............
Send us news at: buxaronlinenews@gmail.com

ख़बरें भेजें और हम पहुंचाएंगे, 
आपकी खबर को सही जगह तक.... 





 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu