(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- बक्सर के चौसा प्रखंड के कमरपुर पंचायत अंतर्गत गंगा नदी किनारे स्थित जीयर मठ के मठाधीश सह महान संत गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महराज का चतुर्मास उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जनपद के ऊंचाडीह गाँव स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में पिछले कई दिनों से चल रहा है। जहाँ गंगापुत्र के द्वारा श्रीमद भागवत कथा का अमृतपान भक्तों को प्रतिदिन कराया जा रहा है। इस क्रम में गुरुवार को उन्होंने कथा करते हुए कहा कि शुकदेवजी महाराज से परिक्षित जी ने प्रश्न किया , परम भागवत विदुर जी सारे संबंधियों एवम धन्य धान्य से भरा हुआ राज्य छोड़ दिया, और कैसे विदुर जी का मिलन मैत्रेय जी से हुआ,दुर्योध के कटु वचन सुनकर निकल गए, कदली वन में रहने लगे,और जब भगवान शांतिदूत बन कर गए और दुर्योधन के आतिथ्य को स्वीकार नही किया,बिना नेवता के भगवान अपना घर जान कर, प्रवीवेशात्मसात्कृतम, उनकी कुटिया में चले गए।
दुर्योधन घर मेवा त्यागी , साग विदुर घर खाई, सबसे ऊंची प्रेम सगाई।
जो मान सम्मान से परे है वो महात्मा है,ऐसे है विदुर जी महाराज,इसलिए भगवान को वही प्रिय है,
मन क्रम वचन छाड़ चतुराई।।
भजत कृपा करिहे रघुराई।।
इसलिए भगवान के सामने तेज मत बनो भक्त बनो,और भगवान ने जाके विदुर काकी के हाथो से,केले के छिलके का भोग लगाया। इसलिए भगवान भाव देखते ,आपका धन वैभव संपति नही देखते है।
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