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मातृ, नवजात एवं शिशु पोषण पर चिकित्सकों के लिए कार्यशाला का शुभारंभ- mother child

 



(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/पटना):- अलाइव एंड थराइव के सहयोग से इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान ,पटना के कम्युनिटी मेडिसिन शाखा में चिकित्सकों एवं नर्सों की मातृ,शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया| कार्यशाला के माध्यम से मातृ, नवजात एवं शिशु पोषण की महता पर विस्तार से जानकारी दी गई|  
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डीन डॉ. वी.एम.दयाल ने कहा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है| उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला का सही पोषण उसके एवं उसके गर्भस्थ शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है| अलाइव एंड थराइव के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण से चिकित्सकों एवं नर्सों को पोषण का सटीक और प्रभावी सन्देश समुदाय तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी| डॉ. दयाल ने बताया स्वस्थ मानव जीवन के लिए जीवन के प्रथम हजार दिन की महत्ता को समझना सबसे जरूरी है| 
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अनुपम श्रीवास्तव, वरीय राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, अलाइव एंड थराइव ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और अलाइव एंड थराइव के सहयोग के बारे में बताकर की| उन्होंने राज्य में संस्था द्वारा आयोजित  प्रशिक्षण  कार्यक्रमों के बारे में सभी को अवगत कराया|
पोषण के संदेशों में एकरूपता जरूरी :
इस अवसर पर यूनिवेर्सिटी कॉलेज  ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नयी दिल्ली के डॉ आमिर मारूफ खान ने कहा मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है.|इसके लिए पोषण एवं स्तनपान के बारे में दिए दिये जा रहे  संदेशों में एकरूपता होनी चाहिए ताकि समुदाय तक एक ही सन्देश हमेशा सामान रूप से पहुंचे.| हर चिकित्सीय संस्थान में आने वाली गर्भवती एवं धात्री माताओं को पोषण के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए.| सन्देश में मरीजों की मनोस्थिति का ध्यान रखना सबसे जरूरी है|
बेहतर मातृ एवं शिशु पोषण के लिए आयरन और कैल्सियम  की गोली आवश्यक:
इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष प्रो।  डॉ. नीरू गोयल ने बताया एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए.| इससे महिला को सभी जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है|.माता के वजन से गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य  प्रभावित होता है| इसलिए गर्भावस्था के दौरान निश्चित अंतराल पर माता का वजन जरूर  करना चाहिए ताकि ज्ञात हो सके कि बच्चे का विकास हो रहा है.|लाभार्थियों से संवाद में उनकी मनोस्थिति तथा परेशानियों से एकरूप होकर ही सही सलाह दी जा सकती है और लाभार्थी बिना संकोच के अपनी परेशानियों को चिकित्सक से साझा कर सकते हैं| 
कार्यक्रम में प्रतिभागियों का स्वागत एवं परिचय तथा संचालन अलाइव एंड थराइव, पटना की वरीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ अनुपम श्रीवास्तव ने किया|. इस अवसर पर इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान  के कई चिकित्सक, नर्स एवं छात्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर प्रशिक्षण का लाभ उठाया.|



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