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बैकुंठ धाम वो जगह है जहाँ जाने के बाद ईक्षा,बैर और मृत्यु भय सब खत्म हो जाता है- गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी- gangaputra maharaj




(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-  परम पूज्य संत शिरोमणि गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का चतुर्मास उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जनपद के ऊंचाडीह गाँव स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर में सम्पन्न हो रहा है इस दौरान स्वामी जी अपने अनुयायियों को भागवत कथा का अमृतपान करा रहे हैं। पिछले दिन के कथा में उन्होंने बैकुंठ धाम के बारे में भक्तों को बताई। उन्होंने कथा के दौरान कहा कि शुकदेव जी ने परीक्षित को सृष्टि के विस्तार के बारे में एवम भगवान के बैकुंठ धाम के बारे में भी सुनाया, भगवान के संकल्प से नाभी से कमल प्रकट हुआ,उसके ऊपर ब्रम्हा प्रकट हुए ,हजारों वर्षो तक कमल नाल तंतू में ढूंढते रह गए, तब दो बूंद टपका तप तप ,संकेत समझ गए ब्रम्हा तप करना चाहिए,हजारों वर्षो तक तप किया तब भगवान ध्यान में आकर दर्शन एवम अपने लोक एवम लोकों के पार्सदो का दर्शन कराया।इसलिए सबको जीवन में थोड़ा तप करना चाहिए,बिना तप के भगवान को नही जाना जा सकता, वहा तक पहुंचने का दूसरा कोई उपाय नही,
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिए तुला एक अंग ।।
तुल न ताहि सकल मिली, जो सुख लव सत्संग।।
जहां पवर्ग न हो वो ही बैकुंठ है, जहां जाने के बाद हमारा पतन न होता हो,
जहा जाने के बाद किसी फल की ईक्षा न हो, जहां जाने के बाद किसी से बैर न हो , जहां जानें के बाद भय न हो,और जहां जाने के बाद हमारी मृत्यु न हो,वो बैकुंठ है।


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