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न्यूज़ पोर्टल एसोसिएशन की साप्ताहिक वर्चुअल मीटिंग में बक्सर की घटना का देशभर के पत्रकारों ने की कड़ी निंदा- news portal association



(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर न्यूज़ पोर्टल एसोसिएशन की अहम बैठक संपन्न हुई. 40 मिनट की वर्चुअल बैठक में देश के विभिन्न भागों से अनेक डिजिटल पत्रकारों ने हिस्सा लिया. इस बैठक का मुख्य एजेंडा बक्सर (बिहार) के एक पत्रकार पर राजनीतिक प्रताड़ना के संदर्भ में चर्चा थी, तो न्यूज़ पोर्टल एसोसिएशन को देशभर में संगठित करने के मुख्य उद्देश्य पर भी गहराई से चर्चा हुई. सभी सदस्य इस बात पर एकमत थे कि संगठन में एकता के लिए प्रत्येक सप्ताह 40 मिनट जूम मीटिंग पर मिलना आवश्यक है. अगर जूम मीटिंग पर लोग आपस में मिलेंगे नहीं एक दूसरे के विचारों को साझा नहीं करेंगे, सुनेंगे नहीं तो संगठन बनने की बात बेमानी ही है.

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बक्सर से चंद्रकांत निराला, दिल्ली से गणेश यादव, कुशीनगर से बेचन प्रसाद यादव, सोनभद्र से गौतम विश्वकर्मा, बिहार से मो. बरकाती, महाराष्ट्र के थाने से दिनेश शुक्ला, दिल्ली से अमित लाल, बक्सर से विमल कुमार, गोरखपुर से कृपाशंकर, लखनऊ से अंतस खरे ने अपने विचार व्यक्त किए. 

बैठक में बक्सर की घटना का उल्लेख करते हुए मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि बेहद आवश्यक है कि, पत्रकार लोकल लेवल के साथ-साथ नेशनल लेवल पर भी न्यूज़ पोर्टल एसोसिएशन के साथ जुड़े और सप्ताह के 168 घंटे में से 40 मिनट का समय अवश्य निकालें. बेचन प्रसाद यादव ने पत्रकारों को नेताओं की अत्यधिक चापलूसी करने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि नेताओं को सर पर चढ़ाना पत्रकारों का धर्म नहीं है. दिनेश शुक्ला जी ने इस बात पर जोर दिया कि न्यूज़ पोर्टल के जितने सदस्य हैं सभी एक्टिव हो और सभी अपने पोर्टल की डिटेल ग्रुप में डालें ताकि सभी एक दूसरे से परिचित हो और एक दूसरे का नंबर सेव कर सके संगठन में यह बेहद आवश्यक है. बक्सर के विमल कुमार ने कहा कि संगठन की महत्ता उन्हें समझ में आ गई है और अब वह नियमित मीटिंग में आने का प्रयत्न करेंगे. इसी क्रम में बरकाती जी ने कहा कि पत्रकार ही है जो नेता को नेता बनाता है किंतु नेता उसे अपने पैरों की जूती तले अगर रौंदना चाहता है तो उसकी यह मंशा सफल नहीं होगी. चंद्रकांत निराला ने स्पष्ट कहा कि मीडिया पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि मीडिया के पत्रकार बिके हुए हैं किंतु सवाल यह उठाना जाना चाहिए कि अगर पत्रकार बिके हुए हैं तो आखिर कौन उन्हें खरीदता है? बिना सिर पैर के इल्जाम लगा देना बहुत आसान है लेकिन, एक पत्रकार इसी तरह समाज के लिए कुर्बानी देना सबके बस की बात नहीं है. दिल्ली से गणेश यादव ने कहा कि, आज के समय में पत्रकारों को अपनी विश्वसनीयता भी बनाए रखना जरूरी है क्योंकि, हमारी खबरें ही हमारी पहचान है और हमारी खबरों की विश्वसनीयता हमें समाज में और भी मजबूती प्रदान करती है. 

सभी मित्रों ने राजनीतिक प्रताड़ना की कड़ी निंदा करते हुए प्रत्येक सप्ताह लोकल लेवल पर पत्रकारों से ऑनलाइन 40 मिनट मीटिंग करने के साथ-साथ नेशनल लेवल पर न्यूज़ पोर्टल एसोसिएशन के बैनर तले 40 मिनट मिलने के सुझाव पर मुहर लगाई. कहा गया कि, साप्ताहिक बैठक जारी रखने से ही आगे की योजनाएं बन सकती हैं और संगठन ही हमें मजबूत बना सकता है.



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