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जिला यक्ष्मा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने शहर में निकाली जागरूकता रैली-awareness program





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-
विश्व यक्ष्मा दिवस पर बुधवार को सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मौके पर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारी ने जागरूकता रैली निकाली। इस दौरान टीबी बीमारी होने से पूर्व के लक्षणों को बतया गया। रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए यक्ष्मा केन्द्र पर पहुंची। जिसका नेतृत्व जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने किया। इस दौरान उन्होंने बताया केंद्र सरकार ने 2025 तक इस बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य  दिया है। इसमें सभी को पूरी निष्ठा से काम करना होगा। अब निजी दवा दुकानों को भी टीबी मरीजों का रिकॉर्ड रखना है। इस काम में सभी ड्रग इंसपेक्टरों की जवाबदेही तय होगी। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने तकनीकी कर्मचारियों को अधिक से अधिक टीबी मरीजों को खोज कर इलाज करवाने व दवा खाने वाले मरीजों को पोर्टल पर बैंक खाता अपलोड करवाने को कहा। 

दो हफ्ते तक खांसी-बुखार होने पर कराएं टीबी की जांच :
जागरूकता रैली में बैनर व पोस्टर्स के साथ साथ नारे भी लगाए जा रहे थे। जिसमें लोगों को टीबी के लक्षणों की पहचान करने की जानकारी भी दी गयी। डॉ. नरेश कुमार ने बताया टीबी के मरीजों की पहचान करना आसान है। टीबी कोई खानदानी बीमारी नहीं, बल्कि यह एक संक्रामक बीमारी है, जो जीवाणु से फैलती है। इस रोग में खांसी, बुखार, खांसी के साथ बलगम व खून आना, कमजोरी, वजन कम होना आदि प्रमुख लक्षण हैं। समय रहते इसकी दवा नहीं लेने पर यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्ष 1996 से ही हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मना रहा है। इसका उद्देश्य, इस रोग से मृत्यु दर को शून्य करना, त्वरित इलाज, जांच व विश्व को टीबी मुक्त करना है। किसी को भी टीबी के लक्षण नजर आएं तो बेहिचक नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जाकर अपना इलाज शुरू करा देना चाहिए।

वजन के हिसाब से दी जाती है दवा :
डॉ. नरेश कुमार ने बताया बलगम जांच के बाद पूरी तरह डॉक्टर द्वारा मरीज में टीबी नहीं होने का आश्वस्त  हो जाने के बाद 56 व 112 दिन का कोर्स चलाया जाता है। 56 दिन के कोर्स में 25 से 39 साल को दो गोली, 40 से 50 वर्ष के व्यक्ति को तीन गोली, 69 साल तक के व्यक्ति को चार गोली व 70 से ऊपर के मरीज को पांच गोली खाना होता है। कैट दो में वैसे मरीजों को दवा दी  जाती  है, जिसने बीच में दवा छोड़ दी हो। 84 दिन या 140 दिन दवा खानी होती है। टीबी की दवा जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बने डॉट सेंटर्स पर भी उपलब्ध है।



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