बक्सर । बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गाँव कुकुढ़ा के किसान परिवार से निकले विवेक कुमार ने वो कर दिखाया है, जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। पिता देवेन्द्र चौधरी किसान हैं और माता उषा देवी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता। साधारण पृष्ठभूमि में पले-बढ़े विवेक ने अपनी लगन और मेहनत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन किया है।
इस अवसर पर जनसुराज पार्टी के वरिष्ठ नेता बजरंगी मिश्रा ने विवेक कुमार को बधाई देते हुए कहा कि “यह पूरे जिले और राज्य के लिए गर्व का क्षण है। साधारण किसान परिवार से निकलकर विश्वस्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना सचमुच प्रेरणादायक है। ऐसे युवा आज की पीढ़ी के लिए मिसाल हैं, जिन्होंने साबित किया है कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।”
सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद विवेक ने IIT में प्रवेश लेकर विज्ञान की दुनिया में कदम रखा। आगे चलकर उन्होंने जर्मनी की प्रसिद्ध कंपनी Bosch GmbH में नौकरी हासिल की, जहाँ उन्हें करीब एक करोड़ रुपये सालाना पैकेज मिला। लेकिन विवेक ने नौकरी की सुरक्षा छोड़ शोध का रास्ता चुना।
कनाडा में उनके रिसर्च कार्य ने हल्के और अधिक कुशल रॉकेट इंजन के विकास की दिशा में नई राह दिखाई। उनके इस नवाचार पर कनाडा सरकार ने उन्हें करीब 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया। इसके बाद विवेक को अमेरिका की नामचीन संस्था जॉर्जिया टेक ने अपने सरकारी परियोजनाओं में शोध के लिए आमंत्रित किया।
वर्तमान में विवेक जॉर्जिया टेक में पीएचडी शोधार्थी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी टीम को करीब 30 करोड़ रुपये की रिसर्च ग्रांट मिली है, जिसमें से 5 करोड़ रुपये उनके नेतृत्व में किए जा रहे अनुसंधान कार्यों के लिए स्वीकृत किए गए हैं।
विज्ञान जगत में योगदान के लिए विवेक को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। साथ ही, वे अब तक 24 देशों की यात्रा कर चुके हैं, जहाँ हर जगह उन्होंने बिहार की मिट्टी की खुशबू और अपनी मेहनत की पहचान को गर्व से प्रस्तुत किया है विवेक कुमार ने यह साबित कर दिया है कि बिहार का बेटा अगर ठान ले, तो पूरी दुनिया उसकी प्रतिभा को सलाम करती है।
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