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सफाई एनजीओ की मनमानी से जनता में नाराजगी, कार्यवाई तय



बक्सर । डुमरांव नगर परिषद का सफाई एनजीओ अपने मनमानी के वजह से लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। एक तरफ जहां, रिहायशी इलाकों एवं किसानों के खेतों के पास अवैध रूप से कचरे डंपिंग को लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है वही अब सफाई कार्यों के लिए जिम्मेदार एनजीओ पर सैकड़ों सफाई मजदूरों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का भी गंभीर आरोप लगने लगा है। ऐसे में प्रशासनिक सूत्रों के हवाले से जो खबर निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक एनजीओ पर कार्यवाही तय मानी जा रही है। नगर परिषद के स्वच्छता पदाधिकारी राजीव रंजन ने अबतक एनजीओ के खिलाफ मिले कई शिकायतो के आलोक में स्पष्टीकरण मांगा, उसके बाद एनजीओ के भुगतान पर रोक लगाकर सख्ती बरती है। मालूम हो कि पूर्व में भी विवादों के चलते डुमराँव नगर परिषद में सफाई एनजीओ को ब्लैकलिस्टेड करने का मामला सामने आ चुका है उसके बाद नए एनजीओ को सफाई व्यवस्था का जिम्मा सौंपा गया है। लेकिन, इसमें भी झोल खत्म नही हुआ। 

आये दिन डुमराँव नगर परिषद के नए नए कारनामें सामने आ रहे हैं। नप के अधीन कार्यरत 250 से अधिक सफाई मजदूरों के कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) की राशि जमा नहीं की गई है, जिससे मजदूरों में आक्रोश व्याप्त है। इस मामले में नगर परिषद के स्वच्छता पदाधिकारी ने एनजीओ के भुगतान पर रोक लगा दी है, लेकिन मजदूरों की समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हो सका है।



सूत्रों के अनुसार, अप्रैल माह में केवल 178 सफाई मजदूरों का ईपीएफ खाते में जमा किया गया, जबकि 250 से अधिक मजदूर नगर परिषद के लिए कार्यरत हैं। शेष मजदूरों का ईपीएफ और ईएसआई जमा नहीं होने से उनके सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। यह स्थिति मजदूरों के लिए गंभीर वित्तीय संकट का कारण बन रही है, क्योंकि ईपीएफ और ईएसआई उनके भविष्य की बचत और स्वास्थ्य बीमा का आधार हैं। सफाई मजदूर को प्रतिदिन शहर में खतरों का सामना करना पड़ता है। लेकिन एनजीओ की मनमानी ने मजदूरों का भविष्य अधर में लटका दिया है।





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