बक्सर । जिले के नए आरक्षी अधीक्षक (एसपी) शुभम आर्य ने अपनी धर्मपत्नी के साथ स्थानीय सीताराम उपाध्याय संग्रहालय का अवलोकन किया. इस दौरान संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने उन्हें संग्रहालय में संजोई गई सभी पुरावशेषों और ऐतिहासिक धरोहरों की विस्तृत जानकारी प्रदान की. यह दौरा बक्सर और इसके आसपास के पुरास्थलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया.
संग्रहालय में संग्रहित सामग्री में कुषाण काल से लेकर पाल काल तक की प्रस्तर प्रतिमाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया गया. इसके अतिरिक्त, बक्सर और चौसा के पुरातात्विक उत्खननों से प्राप्त मृण्मूर्तियों के विषय में भी जानकारी दी गई. संग्रहालय में मौजूद इन पुरावशेषों ने बक्सर की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर की एक झलक पेश की. संग्रहालय का प्रमुख आकर्षण यहां हाल ही में प्रदर्शित की गई फोटो प्रदर्शनी है. इस प्रदर्शनी में बक्सर और भोजपुर के महत्वपूर्ण धर्मस्थलों के अलावा बिहार और उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के चित्र भी प्रदर्शित किए गए हैं. इनमें वैशाली, विक्रमशिला, चंपारण का अशोक स्तंभ, लुम्बिनी में भगवान बुद्ध का जन्मस्थल, और कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण स्थल के चित्र प्रमुख हैं.
फोटो प्रदर्शनी में मसाढ़ स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों, जैन मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के फोटो भी प्रदर्शित किए गए हैं. इसके अलावा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा स्थापित भितिहरवा आश्रम और चंपारण सत्याग्रह से जुड़े स्थलों के चित्र भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं. इन चित्रों में भोजपुर कोठी स्थित नील का कारखाना और वहां नील तैयार करने की भट्ठी भी दिखाई गई है.
इतिहास प्रेमियों के लिए विशेष रुचि का केंद्र अमर शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह स्मृति संग्रहालय का भी उल्लेख किया गया, जो जगदीशपुर में स्थित है। इसके साथ ही आरा हाउस, राजपुर का किला, देवढिया सूर्य मंदिर और सिताबपुर देवी मंदिर जैसी अनेक ऐतिहासिक धरोहरों के फोटो भी प्रदर्शनी में शामिल हैं.
आरक्षी अधीक्षक ने संग्रहालय की समृद्ध सामग्री की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे संग्रहालय स्थानीय इतिहास को समझने और अगली पीढ़ी को इसकी महत्ता से अवगत कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बक्सर और इसके आसपास के पुरातात्विक स्थलों का संरक्षण और प्रचार-प्रसार ज़रूरी है, ताकि लोग अपनी ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ सकें.
संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. मिश्र ने बताया कि बक्सर की ऐतिहासिक धरोहर केवल जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध भारत के प्राचीन इतिहास से भी जुड़ा हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि संग्रहालय में संरक्षित प्रत्येक वस्तु अपने आप में अनूठी है और यह हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है. इस अवसर पर आरक्षी अधीक्षक की धर्मपत्नी ने भी पुरावशेषों और धरोहरों में विशेष रुचि दिखाई और संग्रहालय में प्रदर्शित सभी सामग्रियों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की. संग्रहालय के इस दौरे ने बक्सर के इतिहास, संस्कृति और धरोहरों की महत्ता को पुनः उजागर किया. निश्चय ही यह संग्रहालय आम जनता के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.
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