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SSC-CGL 2022 Exam: कोचिंग किये बगैर रितेश ने प्रथम प्रयास में पाई सफलता,जानिए अब क्या है लक्ष्य- ssc-cgl-exam-result



बक्सर । कहते है जो व्यक्ति दृढ़ संकल्प के साथ कठिन परिश्रम करें तो सफलता उसकी कदम जरूर चूमती है इसी को चरितार्थ किया है साधारण परिवार के बेटे रितेश कुमार राय ने। बिना किसी कोचिंग संस्थान के रितेश ने अपने कठिन परिश्रम के बदौलत पहले ही प्रयास में पोस्टल असिस्टेंट बनकर जिले का नाम रोशन किया है। जिले के चौसा प्रखंड के सोनपा गाँव के मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले रितेश ने SSC CGL-2022 की परीक्षा में सफलता हासिल की है। इनकी चयन पोस्टल असिस्टेंट के पद पर हुई है वही इनके इस सफलता से परिवार समेत पूरे गाँव में खुशी का माहौल बना हुआ है। लोग रितेश को युवाओं के लिए प्रेरणा बता रहे है। 

परिवार के स्पोर्ट से मिली सफलता:

रितेश ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा में आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई बक्सर के नई बाजार स्थित सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल से की उसके बाद बीएचयू द्वारा संचालित सेंट्रल हिन्दू बॉयज स्कूल से वर्ष 2014 में 9.8 CGPA से मैट्रिक पास किया, उसके बाद इसी स्कूल से वर्ष 2016 में 85 प्रतिशत अंक लाकर विज्ञान संकाय से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की फिर अमिटी यूनिवर्सिटी नोयडा से एग्रीकल्चर से वर्ष 2021 में स्नातक पूरी की। उन्होंने बताया कि उसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट न करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गया। इस दौरान गुरु के तौर पर माता-पिता से मार्गदर्शन लेकर योजनाबद्ध तरीके से तैयारियां शुरू की।

यूट्यूब पर वीडियों देख परीक्षा से सम्बंधित पाई जानकारियां:

 उन्होंने बताया कि तैयारी के लिए पटना गए लेकिन लॉक डाउन लग गया जिसमें कोचिंग संस्थान बन्द हो गए तो रूम पर ऑनलाइन पढ़ाई स्टार्ट की। घर से ही यूट्यूब पर SSC-CGL से जुड़ी चीजों को देखकर समझना शुरू किया, फिर सेल्फ स्टडी पर विशेष फोकस कर 6 से 7 घण्टा प्रतिदिन अध्ययन किया। परिणामस्वरूप प्रथम प्रयास में ही SSC CGL -2022 में रिजल्ट आया और पोस्टल असिस्टेंट का पद प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि इससे पहले बिहार बीपीएससी की परीक्षा भी दी थी जिसमे पिटी निकल गया था लेकिन मेंस में चूक गया वही इसके अलावा दिल्ली पुलिस में दारोगा भर्ती की परीक्षा भी दी थी इसमें सबकुछ निकल जाने के बाद चश्मा नही लगने के कारण शारिरिक परीक्षा में असफल कर दिया गया। रितेश ने बताया कि इतना सबकुछ होने के बाद मैंने कभी हार नही मानी,इस बीच माता पिता का भरपूर सहयोग मिला और परिवार से हौसला मिला जिसके बाद मैंने दृढ़ संकल्प के साथ मेहनत की और चयनित किया गया। 

परिवार ने दिया हौसला तो सपना हुआ साकार:

रितेश एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। रितेश ने बताया कि उसके परिवार में कोई अधिकारी पद पर नहीं था परिवार के अधिकतर लोग खेती पर आश्रित है जबकि पिता राजेश राय उत्तरप्रदेश पुलिस में बतौर कांस्टेबल कार्यरत  है माता गृहणी है। रितेश ने बताया कि पढ़ाई के दौरान उनके मामा शांतिप्रकाश पान्डेय का भी सहयोग अतुलनीय रहा है. उन्होंने बताया कि घर से दूर नोयडा में पढ़ाई करते समय मामा के द्वारा न केवल सुविधाएं मुहैया कराई बल्कि आगे बढ़ने के लिए हौसला अफजाई भी किया गया। रितेश ने बताया कि उनकी सफलता को लेकर इसी हफ्ते मामा ने सम्मान समारोह का आयोजन किया है। जिसमें मेरे अलावा मैट्रिक, इंटर सहित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल अन्य छात्रों को पुरस्कृत किया जाएगा।

सेल्फ स्टडी से मिलेगी सफलता:

रितेश अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और मित्रों को देते है उनका कहना है कि घर-परिवार से भरपूर सहयोग और हिम्मत भी मिला जिससे मंजिल आसान होती चली गई। उन्होंने बताया कि वह कभी परीक्षा को लेकर घबराएं नही बल्कि पॉजिटिव सोच के साथ चुनौतियों का सामना किया। रितेश ने बताया कि फिलहाल तो वह पोस्टल असिस्टेंट बने है लेकिन उनका सपना है कि वह भविष्य में एक आईएएस अधिकारी बन कर देश की सेवा करें,इसके लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू करेंगे. रितेश ने उन छात्रों को सन्देश दिया जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है अथवा करना चाहते है। उन्होंने बताया कि अच्छी और सीमित पुस्तकें मन लगाकर पढ़े और कोचिंग सेंटर पर आश्रित न होकर खुद से सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस करें तो निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त होगी।




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