• ‘कंगारू मदर केयर’ कमजोर नवजातों के लिए संजीवनी
• हाइपोथर्मिया से बच्चों को सुरक्षित रखने में बेहद कारगर
• शरीर की ऊष्मा से नवजात को मिल सकता है जीवनदान
भभुआ । नवजात को अधिक ठंडी या गर्मी के कारण स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ने का ख़तरा रहता है. जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है. सही समय पर हाइपोथर्मिया के प्रबंधन नहीं किए जाने पर नवजात की जान भी जा सकती है. लेकिन इस गंभीर समस्या का निदान आसानी से घर पर भी किया जा सकता है. जिसके लिए ‘कंगारू मदर केयर’(केएमसी) काफ़ी असरदार साबित हो सकता है. ‘कंगारू मदर केयर’ के तहत माँ या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर नवजात को शरीर की गर्मी प्रदान करते हैं. इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से उबरने में सहायता मिलती है.
2 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों के लिए आवश्यक:
सिविल सर्जन डॉ. मीना कुमारी ने बताया कि 2 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों को कमजोर नवजात की श्रेणी में रखा जाता है. जिन्हें सघन देखभाल की जरूरत होती है. कमजोर बच्चों के उचित देखभाल के लिए सभी जिलों में ‘ कमजोर नवजात देखभाल’ कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत आशा एवं एनएनएम चिह्नित कमजोर नवजातों को उनके घर पर ही विशेष देखभाल प्रदान करती हैं . कमजोर नवजातों के उचित देखभाल की कड़ी में ‘कंगारू मदर केयर’ काफ़ी असरदार प्रक्रिया होती है. इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के साथ नवजात के वजन में वृद्धि होती है. साथ ही इससे उनके बेहतर शारीरिक विकास में भी सहयोग मिलता है.
नियमित स्तनपान एवं स्किन टू स्किन कांटेक्ट से करें शिशुओं की करें ठंड से सुरक्षा:
चिकित्सकों के अनुसार नवजात एवं शिशुओं को ठंड से बचाने में नियमित स्तनपान एवं स्किन टू स्किन कांटेक्ट की अहम् भूमिका होती है. शारीरिक संपर्क से नवजात के शरीर में जरुरी ऊष्मा की पूर्ति होती है. इससे नवजात मौसम में हो रहे बदलावों से सुरक्षित रहता है. नियमित स्तनपान से शिशु की सभी पोषक तत्वों की आपूर्ति होती और वह स्वस्थ रहता है.
केएमसी के फ़ायदे:
केएमसी देने से माँ की कन्हर(प्लेसेंटा)जल्दी बाहर आ जाता है
बच्चे को सीने से लगाने से माँ का दूध जल्दी उतरता है
नवजात शिशु स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है
शिशु का वजन बढ़ता है और शारीरिक विकास बेहतर हो जाता है
माँ एवं बच्चे के बीच मानसिक एवं भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है
इसलिए जरूरी है कंगारू मदर केयर:
डबल्यूएचओ के अनुसार, जन्म के समय 2 किलोग्राम या उससे कम वजन वाले नवजात शिशुओं को निरंतर रूप से कंगारू मदर केयर प्रदान किया जाना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में ही प्रतिवर्ष सबसे अधिक अपरिपक्व जन्म( 37 सप्ताह से पूर्व शिशु जन्म) वाले 10 देशों की सूची जारी की है. जिसमें भारत 35.19 लाख संख्या के साथ सूची में सबसे ऊपर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि सभी जन्मों में से 10 से 15 प्रतिशत जन्म अपरिपक्व होते हैं. इस अनुसार बिहार में प्रत्येक वर्ष 28.65 लाख जीवित जन्म( स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार) में से लगभग 3.80 लाख बच्चे जन्म के समय अपरिपक्व होते हैं. अपरिपक्व या समय से पूर्व जन्में बच्चों में जटिलताओं से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर बेहद कारगर साबित हो सकता है.
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