- वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की समीक्षात्मक बैठक सह कार्यशाला का आयोजन
- सिविल सर्जन ने कालाजार व फाइलेरिया मरीजों की खोज के लिए अभियान जारी रखने का दिया निर्देश
बक्सर| जिला मुख्यालय में शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की समीक्षा सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बक्सर जिला समेत पूरे राज्य में कालाजार की स्थिति का समीक्षा करते हुए उसके उन्मूलन को लेकर चर्चा की गई। साथ ही, केयर के द्वारा जिले के सभी एमओआईसी, वीबीडीएस, बीसीएम व बीएचएम का उन्मुखीकरण किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डब्ल्यूएचओ एनटीडी के जोनल को-ऑर्डिनेडर डॉ. अरूण कुमार, सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार व डीपीसी जावेद आवेदी ने संयुक्त रूप से किया। इस क्रम में सिविल सर्जन डॉ. नाथ ने कहा कि जिले में कालाजार के मामले भले ही कम हैं, लेकिन इससे यह नहीं मानना है कि भविष्य में ये आंकड़ें नहीं बढ़ेंगे। इसके लिए हमें हमेशा तत्पर रहना होगा। मौके पर केयर इंडिया के डीपीओ चंदन प्रसाद, वीबीडीओ राजीव कुमार के अलावा सभी प्रखंडों के एमओआईसी, वीबीडीएस, बीसीएम व बीएचएम मौजूद रहे।
कालाजार जांच के लिए सभी पीएचसी पर आरके-39 किट उपलब्ध :
सिविल सर्जन डॉ. नाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कालाजार के मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी गई है। बक्सर जिला भी यूपी से सटा हुआ है और गंगा के तटीय इलाके में स्थित है । इसके कारण यहां नमी अधिक होती है। ऐसे में भविष्य में कालाजार के मामलों की संभावित वृद्धि को देखते हुए कालाजार के प्रभावित गांवों व उसके आसपास के गांवों में कालाजार के नए मरीजों की खोज जारी रहेगी। भविष्य में कालाजार के नए मरीजों की जांच के लिए सभी पीएचसी पर आरके-39 किट उपलब्ध करायी गयी है। साथ ही, कालाजार की जांच, इलाज व देखरेख के लिए पीएचसी स्तर के प्रभारी चिकित्सकों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। यदि भविष्य में कोई भी मामला सामने आता है, तो उसकी तत्काल जांच कर उचित इलाज शुरू किया जाएगा।
नावानगर से होगा एमएमडीपी क्लिनिक खोलने का शुभारंभ :
डीवीबीडीसीओ डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया जिले में हांथीपांव के मरीजों की संख्या अधिक है। जिनमें ज्यादातर बुजुर्ग महिलाएं व पुरुष हैं। इन मरीजों को नियमित रूप से एमएमडीपी (रुग्णता एवं विकलांगता रोकथाम) किट का प्रयोग करना होता है। जिसे देखते हुए सभी प्रखंडों में एक-एक एमएमडीपी क्लिनिक खोला जाए। ताकि, फाइलेरिया के हाथीपांव के मरीजों को किट के वितरण के साथ उनको किट के इस्तेमाल की जानकारी दी जा सके। साथ हीं इन क्लिनिकों पर फाइलेरिया के हाथीपांव के मरीजों का इलाज करने के साथ-साथ उनको व्यायाम भी सिखाया जाएगा। इसके लिए आगामी मंगलवार को नावानगर प्रखंड से एमएमडीपी क्लिनिक खोने की शुरुआत की जाएगी। उसके बाद क्रमशः उसी तिथि को अन्य सभी प्रखंडों में एमएमडीपी क्लिनिक की शुरुआत की जाएगी।
सप्ताह में दो दिन हो हाइड्रोसील के मरीजों का इलाज :
वहीं, फाइलेरिया के हाइड्रोसील के मरीजों के इलाज की संख्या पर चिंता जताते हुए सिविल सर्जन ने सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को अपने अपने स्तर से मरीजों के इलाज बढ़ाने और सप्ताह से दो दिन उनका ऑपरेशन करने के लिए शिविर लगाने का निर्देश दिया। साथ ही, बताया गया कि हाइड्रोसील के एक ऑपरेशन के लिए सरकार के द्वारा 750 रुपए दिए जाते हैं। जिसमें सर्जन को 250 रुपए इन्सेंटिव के साथ 100 रुपए आवागमन खर्च के लिए निर्धारित हैं। संबंधित कर्मचारी आशा के माध्यम से के मरीजों को जागरूक करते हुए उन्हें ऑपरेशन के लिए पीएचसी पर लाएंगी। साथ ही, सदर अस्पताल में भी दो दिन ऑपरेशन के लिए निर्धारित किया जाएगा।
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