• “केयर फॉर द नेग्लेक्टेड” है इस वर्ष की थीम
आरा । आज भले ही हम तरक्की की रोज नई नई सीढ़ियां चढ़ रहे हैं, लेकिन आज भी कई बीमारियां ऐसी हैं जिसने लोगों का जीवन बोझिल बना दिया है. जिनमें फाइलेरिया भी एक है. फाइलेरिया न केवल लोगों को कमजोर व लाचार बनाता है, बल्कि इससे विकलांगता का खतरा भी अधिक होता . दूसरी ओर इस बीमारी की चपेट में आ जाने के बाद धीरे धीरे लोगों की मानसिकता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है. इस रोग से प्रभावित मरीज व उनके परिजनों को हर घड़ी लोगों के द्वारा तिरस्कार करने व मजाक उड़ाने का डर सताता है. वहीं, रोगग्रस्त मरीज अपना जरूरी काम भी सही से नहीं कर पाते हैं. कई मामलों में तो मरीजों की रोजी-रोजगार प्रभावित होती है.
11 नवंबर को मनाया जाता है फाइलेरिया दिवस:
फाइलेरिया के बारे में जनमानस को जागरूक करने और इस रोग के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए हर वर्ष 11 नवंबर को फाइलेरिया दिवस का आयोजन किया जाता है. फाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है. जिसके लक्षणों की यदि सही समय पर पहचान नहीं की जा सकी, तो मरीज को हाथीपांव, हाइड्रोसील या अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति दवा के पूरा सेवन कर रोग को नियंत्रित रख सकता है. फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी सामान्य जीवन जी सकता है. दवाइयों की खुराक पूरी नहीं करने पर, यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है.
हाथ-पैर में सूजन या दर्द फाइलेरिया होने के लक्षण हैं :
जिला वेक्टर बॉर्न डिजिज कंट्रोलर अफसर डॉ. विनोद कुमार ने बताया, यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं. तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएं. मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिजनों को भी डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें. हालांकि इसके लिये जिले में अभियान चलाये जाते हैं. पांच साल तक एक बार इन दवाओं के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है. उन्होंने बताया कि स्वच्छता का ध्यान और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग फाइलेरिया से सुरक्षा देता है.
क्यूलेक्स मच्छर माइक्रो फाइलेरिया लार्वा को जन्म देता है :
फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है. इसके काटने से शरीर में वुचेरिया बेंक्राफ्टी नाम का परजीवी प्रवेश कर जाता है. क्यूलेक्स मच्छर माइक्रो फाइलेरिया लार्वा को जन्म देता है. मच्छर के काटने से बॉडी में ब्रुजिया मलेई परजीवी शरीर में पहुंच जाता है. मच्छरों के काटने के कारण माइक्रोफाइलेरिया लार्वा शरीर में लिम्फेटिक और लिम्फ लोड्स में चला जाता है. जो कई सालों तक शरीर में एडल्ट वर्म में विकसित होते रहते हैं. जिसका पता लगभग 10 से 15 साल के बाद चलता है. लेकिन, तब तक मरीज ग्रेड टू के स्टेज को भी पार कर लेता है.
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