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कालाजार को खत्म करने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों की जागरूकता जरूरी



- छिड़काव के दौरान सर्वे करने के साथ लोगों को दी जा रही है रोग से संबंधित जानकारी
- लोगों को जागरूक करने के लिए दूसरे विभाग को अभियान में शामिल करने की तैयारी

बक्सर। राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव चल रहा है। फिलवक्त नावानगर प्रखंड के मणियां गांव में छिड़काव किया जा रहा है। इस दौरान गांव के लोगों को कालाजार और पीकेडीएल रोगियों की पहचान और उसके उपचार के संबंध में भी बताया जा रहा है। साथ ही, इसकी रोकथाम और इसके उपायों की भी जानकारी दी जा रही है। ताकि, सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक कर, इस गंंभीर बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयत्नशील है। खासकर सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने को लेकर। साथ ही, वृहद् स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए अब दूसरे विभाग को भी इस अभियान में शामिल करने की तैयारी की जा रही है। 
छिड़काव के साथ सर्वे भी जारी :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, जिले के प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव किया जा रहा है। इस छिड़काव में कर्मियों द्वारा सभी प्रभावित गांव के घरों में छिड़काव किया जाना है। छिड़काव कर्मियों द्वारा घरों की जनसंख्या, कमरे, बरामदा, गौशाला एवं संभावित कालाजार मरीजों की संख्या को अपने रजिस्टर में अंकित किया जा रहा है। उक्त रजिस्टर में छिड़काव कर्मी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत प्राप्त मकानों की संख्या दर्ज कर रहे और मकान की फोटो भी ले रहे हैं। ताकि, सर्वे के माध्यम से विगत तीन वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत उपलब्ध कराये गए पक्के मकानों की वास्तविक संख्या की जानकारी हो सके। 
संक्रमण के बाद अधिक गंभीर रूप लेती है ये बीमारी :
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार ने बताया, कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस (बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है। बालू मक्खी सामान्यतः नमी भरे वातावरण में पनपती है।  यह कच्चे मकान, घर में स्थित गौशाला, घर के अंधेरे नमी युक्त वाले जगहों के साथ मिट्टी की दीवारों के बीच पड़ी दरारों में पनपती  है।
कालाजार के लक्षण :
- लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
- वजन में लगातार कमी होना।
- दुर्बलता।
- व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
- प्लीहा में नुकसान होता है।



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