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ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर हेरिटेज स्कूल के छात्रों ने दिया संदेश



विलुप्त हो रहें धरोहरों के संरक्षण का दिया संदेश हेरिटेज स्कूल के छात्रों ने बनाया मिट्टी का दीया 

बक्सर। विलुप्त हो रही भारतीय सभ्यता, संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण जरूरी है। शहर के समीप अर्जुनपुर स्थित हेरिटेज स्कूल टेन प्लस टू में दीपावली के त्यौहार को लेकर छात्रों ने मिट्टी का दीया बना, मिट्टी के ही दीये जलाने का आग्रह जिलेवासियों से कर संदेश दिया। छात्र-छात्राओं ने आह्वान करते हुए कहा कि हम सभी के जागरूकता से ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े धरोहर को बचाया जा सकता है। छात्रों ने मिट्टी से बनाई दीये की महत्ता और उसके ऐतिहासिक धरोहर और देश के सांस्कृतिक महत्व के प्रति अपने परिवार व मोहल्ले में साझा कर जागरूक करने का संकल्प लिया।

वहीं छात्रों को संबोधित करते हुए निदेशक प्रदीप पाठक ने बताया कि आज आपने ऐतिहासिक धरोहरों व संस्कृति और परम्पराओं को संयोजने रखने का जो प्रयास किया यह हम सभी के लिए महत्वपूर्ण संदेश है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की उन्नति में उसकी संस्कृति, सभ्यता, मूल्य, परंपराओं और सहेजी गई धरोहरों का बहुत महत्त्व होता है। मगर विडंबना है कि हमारी प्राचीन लोककलाएं आज मात्र राष्ट्रीय पर्वों पर झांकी-प्रदर्शनी या विशेष सांस्कृतिक महोत्सवों में प्रदर्शित होने तक सीमित रह गई हैं।
मिट्टी के दीये का आध्यात्मिक महत्व है जो हमें सिखाता है कि किस प्रकार स्वयं जलकर दूसरों के जीवन मे रोशनी लायी जाती है। वहीं मिट्टी के दीये का शारिरिक लाभ भी होता है जब वर्षा ऋतु समाप्त हो शरद ऋतु शुरू होता है ऐसे समय मे वातावरण में कीट-पतंगे, मच्छर व अन्य जहरीले विषाणुओं की संख्या बढ़ जाती है जिसे हजारों की संख्या में दीपावली के दिन सरसों के तेल से मिट्टी के दीये जलाए जाते है जिससे इन विषैले जीवाणुओं का नाश हो जाता है। ठीक इसी प्रकार दीये का प्राकृतिक लाभ व आर्थिक लाभ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पहुंचता है।



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