- ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन से प्रसव के दौरान नवजातों को होती है दम घुटने की गंभीर समस्या
- गृह प्रसव के मामलों में ग्रामीण चिकित्सक या दाई करते हैं अधिक प्रयोग
बक्सर। सुरक्षित प्रसव के लिए माताओं को गर्भावस्था के समय से लेकर प्रसव होने तक सभी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। प्रसव के दौरान जरा सी लापरवाही के कारण जच्चा व बच्चा दोनों को खतरा हो सकता है। जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रसव के दौरान महिलाओं को अत्यधिक पीड़ा सहन न कर पाने के कारण चिकित्सीय परामर्श के बाद ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाता है। लेकिन, कई मामलों में महिलाएं दर्द से बचने के लिए इस इंजेक्शन को लगाने का दबाव बनाती, जो उनके लिए ठीक नहीं है। प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चिकित्सकीय परामर्श पूरी प्रक्रिया को सरल सुरक्षित बनाने में सहयोग प्रदान करता है। यदि समय से पहले प्रसव कराने के लिए ऑक्सीटोसिन जैसे इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता, तब यह नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
ग्रामीण इलाकों व निजी अस्पतालों में दी जाती है यह इंजेक्शन :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, सदर अस्पताल के अलावा सरकारी अस्पातलों में प्रसव के दौरान ऑक्सीटोसिन का प्रयोग बहुत जरूरी होने पर ही किया जाता है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में या निजी स्वास्थ्य संस्थानों में इसका प्रयोग बिना मानक के ही कर दिया जाता है। लेकिन, लोग इसकी गंभीरता को नहीं समझते हैं। यदि बिना मानक या आवश्यकता पर प्रसूति को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाता, तो इसके कारण प्रसव के दौरान नवजात शिशु को दम घुटने की गंभीर समस्या हो सकती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में एस्फिक्सिया कहते हैं। एस्फिक्सिया के कारण बच्चे को गंभीर रूप से सांस लेने में तकलीफ होती। यहां तक कि कई मामलों में नवजात शिशु की मृत्यु भी हुई है।
एस्फिक्सिया है नवजात मृत्यु दर का प्रमुख कारण :
डॉ. भट्ट ने बताया, ऑक्सीटोसिन का गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण एस्फिक्सिया होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल प्रसूति के यूटरस के संकुचन के लिए किया जाता है। खासकर प्रसव के बाद अत्याधिक रक्तस्राव रोकने के लिए ही ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन, गृह प्रसव के मामलों में ग्रामीण चिकित्सकों या दाइयों के द्वारा शीघ्र प्रसव कराने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों को परेशानी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग प्रसव के दौरान करने से पहले विशेषज्ञ चिकित्सकीय सलाह जरूरी है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का दुरुपयोग रोकने से एस्फिक्सिया के मामलों में जरूर कमी आएगी। इसके साथ ही इससे नवजात मृत्यु दर को भी रोकने में सहयोग मिलेगा।
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