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हाथीपांव के मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का होगा वितरण- jile-me




• जिले के सभी प्रखंडों में फाइलेरिया के हाथीपांव मरीजों की हो रही है लाइन लिस्टिंग
• मरीजों को एमएमडीपी किट के प्रयोग की दी जाएगी पूरी जानकारी

(बक्सर):- जिले में गंभीर बीमारियों के उन्मूलन के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें से एक है फाइलेरिया। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सबसे जरूरी है उसके प्रारंभिक लक्षणों की पहचान होना। यदि, समय पर इस बीमारी का पता लगा लिया जाए, तो उचित प्रबंधन और दवाओं के सेवन से इसे गंभीर रूप लेने से पहले रोका जा सकता है और इसके लक्षणों को कम भी किया जा सकता है। लेकिन जिन मरीजों में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है, उनको उचित देखभाल के साथ नियमित व्यायाम की भी आवश्यकता होती है। इसी क्रम में जिले के फाइलेरिया के हाथीपांव से ग्रसित लोगों को चिन्हित किया जा रहा है। सर्वे के बाद चिन्हित मरीजों के बीच मार्बीडीटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) प्रदान किया जा सके। जिससे वे हाथीपांव का रुग्णता प्रबंधन कर सकें।
जिलास्तर पर शिविर का होगा आयोजन :
जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोलर ऑफिसर डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, जिले के हाथीपांव से ग्रसित लोगों की लाइन लिस्टिंग की जा रही है। ताकि, उनको एमएमडीपी किट प्रदान किया जा सके। इसके लिए सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सूचित किया जा चुका है। इसके लिए जिलास्तर पर शिविर का आयोजन किया जायेगा। किट में मरीजों को बाल्टी, मग, टब, सूती तौलिया, साबुन व एन्टी फंगल क्रीम दी जाती है। साथ ही, मरीजों को किट के इस्तेमाल की जानकारी दी जाती है। क्योंकि मरीजों को किट के प्रयोग की विधि जाननी बेहद जरूरी होती है। 
मरीजों को दिखाया जाता है डेमो :
डॉ. शैलेंद्र ने बताया, एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के पूर्व मरीजों को डेमो दिखाया जाता है। जिससे वे उपचार की विधि समझ सकें। हाथीपांव के मरीज उपचार के समय पहले पैर पर पानी डाल लें। उसके बाद हांथ में साबुन लेकर उसे खूब रगड़ें और झाग निकालें। जिसके बाद हल्के हांथ से पैर में घुटने से लेकर उंगलियों व तलुए तक साबुन लगायें। जिसके बाद हल्के हाथ से घुटने से पानी डालकर उसे धो लें। जिसके बाद तौलिया लेकर हल्के हाथ से पोंछ लें। ध्यान रहे कि रगड़ना बिल्कुल नहीं है। इसके बाद पैर में जहां पर घाव हो वहां पर क्लोबनी क्रीम लगायें। यदि, मरीज के पैर में घाव नहीं हैं तो पैर में हल्के हांथ से नारियल का तेल लगा सकते हैं।
संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं :
जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोलर कंसल्टेंट राजीव कुमार ने बताया, फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। जिससे किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं। उन्होंने बताया, फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल है। हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को समान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती है।







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