(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- रविवार को सदर एसडीपीओ कार्यालय में एक प्रेसवार्ता आयोजित किया गया था जिसमें दो रंगदारों को प्रस्तुत कर आभूषण व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले का खुलासा किया गया। आपको बता दें कि मामला दर्ज होने के महज 4 दिन के अंदर पुलिस ने इस बड़े मामले का खुलासा कर दिया है.
इसको लेकर बताया गया कि फोन के जरिए एक शख्स ने एक स्वर्ण व्यवसायी से 15 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी. रंगदारी मांगने वाले सख्स के साथ-साथ रंगदारी मांगने के लिए उकसाने वाले शख्स को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार मुख्य अभियुक्त धर्मेंद्र कुमार नगर थाना क्षेत्र के नई बाजार का रहने वाला बताया जाता है जबकि रंगदारी मांगने के लिए उकसाने वाला अभिषेक कुमार भी नगर थाना क्षेत्र के ही सिविल लाइन मोहल्ले का रहने वाला बताया जा रहा है. इस मामले में स्वर्ण व्यवसायी के आवेदन पर 18 मई को नगर थाने की पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की थी.
वही स्वर्ण व्यवसायी से रंगदारी मांगे जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद बक्सर एसपी नीरज कुमार सिंह के द्वारा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गोरखधाम के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था जिसके द्वारा जांच करते हुए न केवल मामले का खुलासा किया गया बल्कि दोनों आरोपियों को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल हुई. पुलिस ने इनके पास से रंगदारी मांगने के लिए उपयोग किए गए मोबाइल को भी बरामद कर लिया है. जानकारी के मुताबिक धर्मेंद्र कुमार का पहले से ही स्वर्ण व्यवसायी के यहां आना जाना था. क्योंकि वहीं से इनका परिवार सोने चांदी का आभूषण खरीदता था. जानकारी के मुताबिक किसी बात को लेकर पहले अभिषेक कुमार की स्वर्ण व्यवसायी से कहासुनी हुई थी इसी के द्वेष में उसने धर्मेंद्र को रंगदारी मांगने के लिए उकसाया. जिसके बाद फोन के जरिए व्यवसायी से 15 लाख रुपए रंगदारी की मांग की गई थी और रंगदारी नहीं देने पर अंजाम भुगतने को कहा गया था.
मामले की जानकारी देते हुए बक्सर डीएसपी गोरख राम ने बताया कि रंगदारी मांगे जाने का मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी के द्वारा मेरे नेतृत्व में टीम बनाई गई थी जिसका त्वरित अनुसंधान करते हुए पुलिस ने समय रहते आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. फिलहाल पुलिस इनके बैकग्राउंड को खंगाल रही है जिससे पता चल सके कि इनका कोई पुराना अपराधिक इतिहास तो नहीं है. दरअसल मामले को गंभीरता से लेते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में कुल 9 लोगों की टीम बनाई गई थी जिसमें दो डीएसपी के अलावे थानेदार और दारोगा के साथ डीआईयू की भी टीम शामिल थी.
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