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पेट में कीड़ों के इंफेक्शन के कारण एनिमिया रोग के शिकार हो जाते हैं बच्चे : एसीएमओ- children-national




• राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत मॉपअप राउंड संपन्न, छूटे हुए बच्चों को खिलाई गई अल्बेंडाजोल की दवा
• शिक्षकों और सेविकाओं की मौजूदगी में खिलाई गई दवा

(बक्सर):- राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत मंगलवार को जिले में मॉपअप राउंड चलाया गया। इस क्रम में बीते दिन 22 अप्रैल राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर जिले में संचालित अभियान में छूटे हुए बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई गई। ताकि, एक से 19 साल तक के सभी बच्चे अल्बेंडाजोल की दवा का लाभ ले सकें। वहीं, विभाग के निर्देशानुसार अल्बेंडाजोल दवा का सेवन शिक्षक तथा आंगनबाड़ी सेविका के साथ आशा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कराया गया। ताकि, विषम परिस्थिति के मौके पर चिकित्सकों से कोऑर्डिनेट किया जा सके। अभियान के दौरान न केवल कोविड के सामान्य नियमों का पालन किया गया, बल्कि बच्चों को निर्धारित डोज के अनुसार दवा दी गई। जिसमें एक से दो वर्ष के बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट को आधा कर उसका चूर्ण पानी के साथ खिलाना गया। वहीं, दो से तीन वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूर्ण कर पानी के साथ तथा तीन से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाया गया।
डायरिया की समस्या भी हो जाती है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, कृमि आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके कारण आंत में पोषक तत्वों का ठीक से अवशोषण नहीं होता है, भूख कम हो जाती है और डायरिया की समस्या भी हो जाती है। इसका ही नतीजा होता है कि जिन बच्चों के पेट में कीड़ों का इंफेक्शन होता है वे रक्त की कमी वाले एनिमिया रोग का शिकार हो जाते हैं। वे थकान और कमजोरी का भी अनुभव करते हैं। पेट में कृमि के इंफेक्शन का प्रभाव बढ़ते बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी होता है। बच्चे नई चीजों को याद रखने में मुश्किल का अनुभव करते हैं। इसका नतीजा होता है कि वे स्कूल जाने से बचने लगते हैं। जिससे शिक्षा का नुकसान होता है और उनके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
किसी बच्चे के बीमार होने की सूचना नहीं मिली :
सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों, नवोदय, कस्तूरबा, मदरसा ,संस्कृत एवं निजी विद्यालयों सहित सभी तकनीकी संस्थानों के माध्यम से और 6 से 19 आयु वर्ग के बालक एवं बालिकाओं को कृमि नाश के लिए अल्बेंडाजोल गोली शिक्षक की उपस्थिति में खिलाई गई। वहीं, सभी एक से छह वर्ष तक के पंजीकृत एवं अपंजीकृत बालक और बालिकाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में अल्बेंडाजोल की गोली का सेवन कराया गया। किसी भी स्थिति में गोली घर ले जाने के लिए नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान दोनों निर्धारित तिथियों को कहीं से भी किसी बच्चे के बीमार होने की सूचना नहीं मिली। उन्होंने बताया, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए त्रिस्तरीय माइक्रो प्लान बनाकर संचालित किया गया था। जिसमें आशा, आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों को शामिल किया गया।
बचाव के लिए सुरक्षात्मक कदम :
- स्वच्छता का ध्यान रखें
- स्वच्छ टॉयलेट का उपयोग करें और खुले में शौच न करें
- हर बार टॉयलेट का उपयोग करने के बाद हाथ धोएं
- हमेशा जूते या चप्पल पहने
- फल और सब्जियों को खाने से पहले धोएं
- भोजन को ढक कर रखें
- स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें


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