(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- सिमरी के रामोपट्टी गाँव में कार्तिक मास के पावन अवसर पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन परम पूज्य ध्यान योगी गंगापुत्र श्री लक्ष्मी नारायण त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के सानिध्य में हो रहा है। इस दौरान गंगापुत्र श्री त्रिदंडी स्वामी जी के द्वारा प्रतिदिन श्रीमद्भागवत कथा का अमृत पान श्रद्धालुओं को कराया जा रहा है। बुधवार को कथा के दौरान श्री स्वामी ने कहा कि परीक्षित को पांडवो ने राज्य सिंघासन पर बिठा कर स्वर्गा रोहड़ किया एवम उपदेश दिया की अगर कोई कितना भी बड़ा अपराधी है। अगर एक बार सरण में आता है तो उसको एक बार जीवन दान देना और कभी भी संतो का अपमान मत करना, परिक्षित कुरांजल परदेस जा रहे थे तभी कलयुग को देखा ,एक बैल के तीन पैर कट चुका एक पैर उसको भी कला एक राजा उस पैर को काट रहा था ,परिक्षित मारने के लिए तैयार हुए , ओ सरण में गिर गया तब ,चार स्थान कलयुग को दिए, जहा जुआ खेला जाए, जहां दारू पिया जाए, जहा बेस्या बृति हो, जहा जीवों की हत्या हो। एक और याचना किया तो स्वर्ण में स्थान दिया, इसीलिए सोना अधिक नही पहनना चाहिए और सोने के मुकुट में कलयुग प्रवेश कर गया।
कथा वाचक श्री गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज कहते है कि एक दिन परिक्षित मृगयार्थ हिरणों का शिकार खेलने गए और बड़ी तेज प्यास लगी तभी समिक ऋषि की कुटिया दिखाई दी। वहा समिक जी तपस्या में थे ध्यान में बैठे थे। परिक्षित की तो मुकुट में कलयुग बैठा था और संत का अपराध कर दिया। गले में मरा सर्प डाल कर जाने लगे तभी समिक के पुत्र ने श्राप दे दिया आज के सातवे दिन तुम्हारी सर्प के डसने से मृत्यु होगी ,ज्योहि परिक्षित ने महल जाकर सोने का मुकुट उतार कर रखा बुद्धि सात्विक हो गई, समिक के सिस्यो ने बताया आपको साप लग चुका है। उसी समय परिक्षित ने अपने पुत्र जनमेजय को राज्य तिलक किए और गंगा का आश्रय लिया। आगे की कथा वाचन अगले दिन करेंगे गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी।
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