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भ्रांतियों की वजह से उत्पन्न डर पर विजय प्राप्त कर जूही कुमारी ने लिया कोविड का टीका- covid-news




- पहले लोगों की बातों को सुनकर वैक्सीन लेने से किया था मना, फिर टीका लेने के लिये पति ने किया प्रेरित
- वैक्सीन लेने के बाद जूही कुमारी को नहीं हुई थी कोई परेशानी, कहा- निर्धारित तिथि पर लेंगी दूसरी डोज

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- नवदंपतियों के जीवन में पहली बार माता पिता बनने की खुशी उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है। यह खुशी अपने साथ-साथ कई जिम्मेदारियां भी लाती है। विशेष कर जब उनके परिवार के नये सदस्य का आगमन इस कोरोना काल में होना है, तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसे में कई दंपत्ति यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिये वह टीका ले या नहीं। लेकिन, ऐसे दंपतियों के लिये जिले के सदर प्रखंड स्थित बरुना के अर्जुन शर्मा व जूही कुमारी ने मिसाल पेश की है। उन्होंने भ्रांतियों व अफवाहों को नजरअंदाज करते हुये और अपने डर पर विजय प्राप्त कर कोरोना का पहला टीका कुछ दिनों पूर्व ले लिया। जूही कुमारी फिलहाल गर्भवती हैं। जिसके कारण उनको टीका नहीं लेने के लिये ससुराल पक्ष के साथ-साथ मायके पक्ष से भी लोग सलाह देते रहें। लेकिन, पति की प्रेरणा के बाद उन्होंने टीका लिया और अपने फैसले को सही साबित भी किया।
होने वाले बच्चे को लेकर नहीं उठाना चाहते थे कोई जोखिम :
जूही कुमारी के पती अर्जुन कुमार दुबई में मजदूरी करते हैं। बीते कुछ दिनों से वह यहीं पर है। अर्जुन कुमार ने बताया, कोरोना संक्रमण के पहले दौर में उन्होंने कई परेशानियों का सामना किया। जिसकी यादें आज भी जेहन में ताजा हैं। जब उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी गर्भवती हैं, तो काफी खुश हुये। लेकिन, जब बात उनकी पत्नी को कोरोना का टीका दिलाने की हुई, तो वह संशय में पड़ गये। क्योंकि पहली बार उन्हें पिता बनने का सुख प्राप्त होने वाला है और वह किसी भी प्रकार का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। साथ ही, परिजनों और रिश्तेदारों ने भी टीका नहीं दिलाने की बात कही। जिसके कारण उनकी दुविधा बढ़ती गई। परंतु, जब आशा दीदी और आंगनबाड़ी सेविका ने उनकी पत्नी को टीका दिलाने के लिये प्रेरित किया और उन्हें टीका के संबंध में जागरूक किया, तब अर्जुन का मन बदल गया और वह हरहाल में टीका दिलाने के लिये राजी हो गये।
डर के बावजूद जूही ने की अपनी पति के इच्छा का सम्मान :
जूही कुमारी ने बताया, वैक्सीन को लेकर उनके मन में काफी डर व्याप्त था। उन्होंने सगे संबंधियों से टीका को लेकर कई भ्रांतियां और अफवाहें सुनी थी। जिसके कारण वह पहले टीका लेने से मना कर देती थी। लेकिन, आशा कार्यकर्ता व सेविका के कहने पर जब उनके पति टीका दिलाने के लिये तैयार हो गये, तब उन्होंने भी खुद को टीका लेने के लिये मानसिक रूप से तैयार किया। उन्होंने कहा, बच्चे को लेकर जिनती जिम्मदारी एक मां की होती है, उतनी ही एक पिता की भी होती है। जब होने वाले बच्चे का पिता ही टीका लेने को कह रहा है, तो बाकि दुनिया से उन्हें क्या मतलब। उन्होंने पति की इच्छा का सम्मान करते हुये वैक्सीन की पहली डोज ले ली। टीका लेने के बाद जूही को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। साथ ही, उन्होंने निर्धारित तिथि पर टीके की दूसरी डोज लेने की बात कहते हुये जिले की सभी गर्भवतियों से अनिवार्य रूप से टीका लेने की बात कही।


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