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गांव-गांव जाकर आशा कार्यकर्ता लोगों को कुष्ठ रोग की दे रही हैं जानकारी- kusth rog





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे  हैं। इस क्रम में सदर प्रखंड में खोज अभियान के साथ-साथ जागरूक भी किया जा रहा है। ताकि, लोगों को कुष्ठ रोग की जानकारी के साथ-साथ इलाज के लिये भी प्रेरित किया जा सके। राज्य सरकार के निर्देश पर जिले में आगामी 31 अक्टूबर तक यह अभियान चलाया जायेगा। अभियान के तहत कुष्ठ रोगी की पहचान में आशा व महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गांव-गांव लोगों को जागरूक कर नि:शुल्क स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। खोजी अभियान के दौरान यदि किसी पर कुष्ठ को लेकर संदेह  हो रहा है, तो उसे इलाज व उचित परामर्श के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जा रहा है। जहां संभावित रोगियों की जांच की जा रही है। वहीं, रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उनका इलाज भी शुरू किया जा रहा है। 
दवा का सेवन करने पर कुष्ठ का असर खत्म हो जाता है :
पारा मेडिकल वर्कर (पीएमडब्लू) नागेश दत्त पांडेय ने कहा, कुष्ठ रोगियों के साथ आम लोगों की तरह व्यवहार करना चाहिए। कुष्ठ रोग का सफल उपचार किया जा सकता है। कुष्ठ रोग को नियंत्रित करने के लिए मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट (एमडीटी) संचालित किया जा रहा है। इलाज के दौरान छह माह तक उपचार चलता है। नियमित रूप से दवा का सेवन करने पर बीमारी का असर खत्म हो जाता है। कुष्ठ के लिये जागरूकता अभियान इस दिशा में छोटा सा कदम है। इसे बढ़ावा देने के लिए लोगों को सहयोग करना चाहिए। कुष्ठ रोग का नि:शुल्क उपचार होता है, इसमें व्यक्ति सामान्य रहता है। 
गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं आशा कर्मी :
सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, जानकारी के अभाव में लोग बीमारी को छिपाने का प्रयास करते हैं, इससे बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है। शरीर पर तांबे रंग के निशान के मिलने पर यदि इलाज शुरू हो जाए तो शारीरिक अंगों का बिगाड़ नहीं होता। यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर हलका गुलाबी रंग का सुन्न चटाक हो तो यह कुष्ठ  रोग हो सकता है। उन्होंने कहा, कुष्ठरोग कोई अभिशाप नहीं है। यह सामान्य जीवाणु जनित बीमारी है। जो माइक्रोबैक्टीरिया लेप्री बैक्टीरिया से फैलती है। इसका एक आसान सा इलाज होता है। यह कोई छुआछूत या अनुवांशिक रोग नहीं है। इसलिए कुष्ठ रोगी के साथ भेदभाव ना करें, बल्कि उसे इलाज के लिए प्रेरित करें। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करें।


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