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आजादी के बाद से आजतक सड़क को तरस रहे पहाड़ीचक गाँव के लोग, हर बार चुनाव में लगता है "रोड नही तो वोट नही का पोस्टर", अधिकारी व जनप्रतिनिधियों से मिलता रहा है झूठा आश्वासन

              ग्रामीणों द्वारा विरोध का फाइल फोटो

बक्सर । भले ही आज पूरा देश विकसित भारत की ओर अग्रसर है लेकिन बक्सर जिला अंतर्गत ब्रह्मपुर प्रखंड के पहाड़ीचक गाँव के लोग आजादी के 75 साल बाद आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं। कई चुनाव बीत जाने के बाद आजतक पहाड़ीचक गांव में संपर्क पथ नहीं बन पाया। यहां के निवासियों को बाजार, अस्पताल अथवा स्कूल जाने के लिए कच्ची मिट्टी के रास्ते अथवा खेतों की क्यारियों का इस्तेमाल करना पड़ता है।


जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की उपेक्षा के कारण इस गांव में आजतक सड़क नहीं बन पाई। बरसात में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है। यहां पर ना तो साइकिल से पहुंचा जा सकता है ना ही मोटरसाइकिल से। सड़क के अभाव में गांव के लोग अपने खेतों की उपज भी औने-पौने दाम पर साहूकारों को बेचते हैं। गांव में कोई अचानक बीमार पड़े और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत हो तो इलाज के अभाव में उनकी मौत तय मानिये। इस गांव में कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं समय पर इलाज ना होने से गांव के मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। उनका परिवार बिखर चुका है। 



यह पहाड़ीचक गाँव ब्रह्मपुर विधानसभा और प्रखंड के एकराशि पंचायत के अंतर्गत आता है । पिछले कई सालों से यहां के लोग भदसारी डेरा से लेकर पहाड़ीचक जाने के लिए कच्ची सड़क को पक्की करने की मांग कर रहे हैं। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि सड़क के लिए तरस रहे यहाँ के ग्रामीण हर बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान बहिष्कार करने का पोस्टर बोर्ड लगा कर अपनी विरोध भी जताते हैं लेकिन, उन्हें केवल अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से केवल झूठा आश्वासन ही मिलता है। वही चुनावों के बाद सभी घोषणाएं ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। 





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