बक्सर । जिले के चौसा प्रखंड के निवासी और सीआरपीएफ जवान जय शंकर चौधरी का पार्थिव शरीर बुधवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा। तेलंगाना में ड्यूटी के दौरान बिजली के करंट की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई थी। शव जब तिरंगे में लिपटा गांव पहुंचा तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों के साथ-साथ गांववाले भी अपने इस वीर सपूत की अंतिम झलक पाने को उमड़ पड़े।
गांव के लाल को सीआरपीएफ की टीम विशेष वाहन से लेकर पहुंची, जिसमें दो उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी और लगभग एक दर्जन जवान शामिल थे। शव के गांव पहुंचते ही मां, पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। जवान की अंतिम यात्रा चौसा बाजार से होते हुए स्थानीय श्मशान घाट पहुंची, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि देने पहुँचे नगर पंचायत के चेयरमैन प्रतिनिधि डॉ. मनोज यादव ने कहा कि चौसा ने अपने एक होनहार लाल को खोया है, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि शहीद जवान जय शंकर चौधरी ने वर्ष 2006 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था। वर्तमान में वह तेलंगाना में तैनात थे और पिछले ढाई वर्षों से वहीं सेवा दे रहे थे। ड्यूटी के प्रति निष्ठा और ईमानदारी उनके व्यक्तित्व की पहचान थी। हादसे के बाद उनका शव पहले हैदराबाद से पटना एयरपोर्ट लाया गया और फिर वहां से सड़क मार्ग द्वारा चौसा पहुंचाया गया।
जय शंकर चौधरी के पिता रामनाथ चौधरी की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। परिवार की जिम्मेदारी का बोझ उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया। उनके पीछे पत्नी लीलावती देवी, दो बेटे दुर्गेश (16) और ऋतिक (10), एक बेटी स्नेहा कुमारी (14), मां और छोटे भाई श्याम सुंदर चौधरी समेत पूरा परिवार गहरे दुख में डूबा है।
अंतिम यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण, समाजसेवी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और सीआरपीएफ के जवान शामिल हुए। हर आंख नम थी और जुबां पर एक ही बात—“गांव का बेटा चला गया, पर उसकी शहादत हमेशा याद रहेगी।” जय शंकर चौधरी की शहादत ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र को गर्व और ग़म से भर दिया है।
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