बक्सर । अपने बेहतर कार्यशैली से लगातार सुर्खियों में बने रहने वाले डुमराँव डीएसपी अफाक अख्तर अंसारी दलित समाज के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का पहल की। उन्होंने मुरार थानाक्षेत्र के आमसारी गांव में दलित बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री का वितरण किया। दो वर्ष पूर्व जहरीली शराब पीने से इसी गाँव में छह लोगों की मौत हुई थी। घटना के बाद अनुमंडल प्रशासन स्थानीय लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का लगातार प्रयास कर रहा है। जनवरी में एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी ने गांव के दलित बस्ती में जाकर स्थानीय लोगों के बीच शिक्षा का अलख जगाया था।
एसडीपीओ की प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला इंदिरा आवास कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय खेवली में कराया था। इससे पूर्व आमसारी दलित बस्ती के एक भी बच्चे का दाखिला किसी विद्यालय में नही था। जनवरी के बाद गुरुवार को पुनः एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी ने विद्यालय का निरीक्षण किया, जहां बच्चों की संख्या तीन से बढ़कर चौदह हो गई है।
एसडीपीओ की प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला इंदिरा आवास कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय खेवली में कराया था। इससे पूर्व आमसारी दलित बस्ती के एक भी बच्चे का दाखिला किसी विद्यालय में नही था। जनवरी के बाद गुरुवार को पुनः एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी ने विद्यालय का निरीक्षण किया, जहां बच्चों की संख्या तीन से बढ़कर चौदह हो गई है।
एसडीपीओ ने विद्यालय पहुंचकर विधि व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने बच्चों से कविताएं सुनी और उन्हे बच्चों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्हे चॉकलेट, बैग, कापी, किताब, पेंसिल, रबर, कटर, स्केल सहित अन्य पढ़ाई किट का वितरण किया। विद्यालय प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार जागरूकता अभियान से महादलित बस्ती के लोगों की शिक्षा के तरफ रुचि बढ़ रही है। जनवरी में तीन छात्रों के दाखिले से शुरू हुई यह यात्रा अब 14 बच्चों तक पहुंच चुकी है। एसडीपीओ ने स्थानीय चौकीदार को कहा कि एक महीने बाद वो फिर आयेंगे और यह संख्या 14 से 20 हुई तो वह चौकीदार को सम्मानित भी करेंगे। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को भी गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया।
एसडीपीओ गांव के लोगों से भी रूबरू हुए। गांव के लोगों की समस्याएं सुनी। लोगों ने बताया कि गांव में एक ही चापाकल है, जल नल योजना का मोटर कई दिनों से खराब है। एसडीपीओ ने गांव के मुखिया पिंटू सिंह को निर्देश किया कि एक से दो दिन के भीतर इस खामी को दुरुस्त कर लें। एसडीपीओ ने स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि अफसर का बेटा ही अफसर बनेगा। मैं भी एक किसान का बेटा हूं, मैने पढ़ाई कि और मैंने अपने तकदीर खुद बदली। शिक्षा अपनी भौतिक स्थिति, अपने भविष्य और अपने परिवेश को बदलने का ठोस माध्यम है। इसलिए आप अपने बच्चों को पढ़ाएं, और किसी भी तरह की परेशानी हो तो मुझसे संपर्क करें।
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