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टीबी उन्मूलन अभियान में आमजनों का सहयोग जरूरी

 


पटना । टीबी वर्तमान में सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है. भारत में टीबी के मामले विश्व में सबसे अधिक हैं . पूरे विश्व की तुलना में भारत में 27% टीबी के मरीज हैं. वहीं टीबी के कारण देश में प्रत्येक साल 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. इस दिशा में मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प दिखाते हुए वर्ष 2025 तक टीबी से मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की है, जिसे वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत प्राप्त करने का लक्ष्य है.
उपलब्ध कराये जा रहे हैं संसाधन:
टीबी रोगियों की प्रभावी पहचान के लिए राज्य भर में करीब 70 सीवी-नेट मशीन एवं अब 37 ट्रू-नेट मशीन हैं . प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मेडिकल कॉलेज तक टीबी रोगियों की जाँच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध है. टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन को बढ़ाने के लिए किसी आम व्यक्ति, निजी अस्पतालों एवं प्रैक्टिसनर को टीबी रोगियों की जानकारी देने पर 500  रुपये एवं उनकी  दवाओं के कोर्स खत्म होने पर पुनः 500  रुपये की प्रोत्साहन राशि  भी दी जा रही है. साथ ही एमडीआर-टीबी के नोटिफिकेशन में 1500  रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. वहीँ टीबी रोगियों को  उनके  इलाज के दौरान  बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500  रुपये की धनराशि भी दी जा रही है.   
आमजन के सहयोग से टीबी उन्मूलन अभियान को मिलेगी गति- सोनू कुमारी 
मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी को मात दे चुकी एवं अब टीबी चैंपियन के रूप में कार्यरत टीबी मुक्त वाहिनी की सदस्य सोनू कुमारी बताती हैं कि टीबी रोग की पीड़ा उससे ग्रसित व्यक्ति ही समझ सकता है. सोनू ने बताया कि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से वे अपनी पति को खो चुकी हैं और खुद भी इससे ग्रसित थीं. उन्होंने सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा पर भरोसा कर अपना उपचार कराया और अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान एवं उनके  इलाज में सभी का सहयोग टीबी उन्मूलन का मूलमंत्र है. इसके लिए  टीबी चैंपियन के अलावा आमजनों को भी अपने आस पास लक्षण वाले  टीबी रोगियों पर नजर रखनी चाहिए एवं उन्हें तत्काल जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. 
निक्षय मित्र बन निभाएं अपनी जिम्मेदारी:
जिला यक्ष्मा  पदाधिकारी डॉ. कुमारी गायत्री सिंह ने आमजनों से अपील करते हुए कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गयी निक्षय मित्र योजना एक सार्थक एवं  सकारात्मक पहल है जिससे टीबी रोगियों की उपचार में सहायता मिलेगी एवं इलाजरत मरीजों के पोषण की जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी. इससे आमजन के साथ स्वयंसेवी संस्थाएं भी कदम बढ़ाकर टीबी उन्मूलन अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकते हैं.   
हवा से फैलता है टीबी का रोगाणु :
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया, टीबी के रोगाणु वायु द्वारा फैलते हैं. जब फेफड़े का यक्ष्मा रोगी खांसता या छींकता है तो लाखों-करोड़ों की संख्या में टीबी के रोगाणु थूक के छोटे कणों (ड्राप्लेट्स) के रूप में वातावरण में फेंकता है. बलगम के छोटे-छोटे कण जब सांस के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता और वह व्यक्ति टीबी रोग से ग्रसित हो जाता है. चिकित्सा कर्मी की देखरेख में रोगी को अल्पावधि वाली क्षय निरोधक औषधियों के सेवन कराने वाली विधि को डॉट्स (डायरेक्टली ऑब्जर्वड ट्रिटमेंट शॉर्ट कोर्स) कहते हैं. इसके तहत किया गया इलाज काफी प्रभावी हो जाता है. पूरा कोर्स कर लेने पर यक्ष्मा बीमारी से मरीजों को मुक्ति भी मिल जाती है.



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