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जिले को टीबी मुक्त करने की कवायद शुरू, तीन पंचायतों का हुआ चयन-




- चयनित पंचायतों में डोर-टू-डोर सर्वे करेंगी आशा, लक्षण वाले मरीजों का लिया जाएगा स्पूटम
- पंचायत के जनप्रतिनिधियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स व प्रखंड स्तरीय आधिकारियों के साथ होगी बैठक
- प्रखंड स्तर पर टीबी फोरम का गठन कर फैलाई जाएगी जागरूकता

बक्सर | जिले के लोगों के लिए अच्छी खबर है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब बक्सर जिले को टीबी मुक्त बनाने की कवायद शरू कर दी गई। जिसके तहत पंचायतों को चिह्नित करते हुए उनको टीबी मुक्त बनाने का कार्य किया जाएगा। ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ के अभियान के तहत चयनित गांवों के जनप्रतिनिधियों और फ्रंट लाइन वर्कर्स से मिलकर जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मी सर्वप्रथम माइक्रोप्लान तैयार करेंगे। उसके बाद प्रखंड स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर अभियान के सफल क्रियान्वयन पर विमर्श करेंगे। अंतिम चरण में फ्रंट लाइन वर्कर्स पंचायतों में डोर-टू-डोर जाकर सर्वे करेंगे। जिसमें यदि किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाएंगे, तो उनका स्पूटम कलेक्ट कर उसकी जांच की जाएगी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उनका नोटिफिकेशन कर इलाज शुरू किया जाएगा। साथ ही, उनके परिवार के एक-एक सदस्य की जांच की जाएगी। ताकि, टीबी संक्रमण की संभावना को जांचा जा सके।
नदांव पंचायत से शुरू किया जाएगा अभियान : 
एसटीएलएस कुमार गौरव ने बताया, अभियान के तहत सबसे पहले तीन पंचायतों का चयन किया गया है। जिसमें सदर प्रखंड से नदांव पंचायत, सिमरी प्रखंड से दुल्लहपुर और इटाढ़ी के उनवास पंचायत का चयन किया गया है। जिनको टीबी मुक्त कराने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इस क्रम में शनिवार सदर प्रखंड के नदांव पंचायत से ही शुरुआत की जाएगी। उन्होंने बताया कि जैसे ही उन पंचायतों को टीबी मुक्त कर लिया जाएगा। उसके बाद जिले के शेष प्रखंडों में एक-एक पंचायतों का चयन कर उक्त अभियान चलाया जाएगा। जिसके बाद इसी प्रकार से जिले के सभी प्रखंड से एक पंचायत का चयन कर उसे टीबी मुक्त करने का काम किया जाएगा। सरकार के निर्देश पर जिला यक्ष्मा केंद्र 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने की ओर अग्रसर है।
टीबी को लेकर जनप्रतिनिधि भी करेंगे लोगों को जागरूक :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सीडीओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, जिलास्तर की तरह प्रखंडों में भी टीबी फोरम टास्क फोर्स और टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का गठन किया जाएगा। साथ ही, टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा। जिससे स्थानीय लोग उनकी बातों से प्रेरित होकर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में अपना सहयोग दें। इससे एक फायदा यह होगा कि स्थानीय पंचायत और वार्ड स्तर पर टीबी मरीजों की पहचान, जांच, इलाज और निगरानी में सहूलियत मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस क्रम में पंचायत स्तर के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स या उपस्वास्थ्य केंद्र स्तर पर एक यूनिट का गठन किया जाएगा। जिसमें टीबी चैंपियंस, उप सरपंच, पंचायत सचिव, चिकित्सा अधिकारी, सीएचओ, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, सरकारी शिक्षक, धार्मिक ग्रुप एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को शामिल किया जाएगा। अभियान में प्रत्येक टीबी यूनिट पर हर महीने स्कूलों में टीबी रोग पर वाद-विवाद, रंगोली, ड्राइंग प्रतियोगिता आदि भी होंगी।

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