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टीबी से बचाव के लिए मरीजों के परिवार के सदस्यों को दी जा रही है आइसोनियाजिड दवा- tb-medicine




- टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों को दवा खाने के लिए किया जा रहा प्रेरित
- मरीजों व परिजनों की निगरानी के लिए एसटीएस कर रहे हैं गृह भ्रमण

(बक्सर/इटाढ़ी):- वर्ष 2025 तक देश को पूर्णत: टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। अब तो टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा मरीजों के पूरे परिवार को आइसोनियाजिड दवा उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि, मरीजों के परिवार के सदस्यों में संक्रमण की संभावना न रहे। पहले जिस घर में टीबी के मरीज होते थे, उस परिवार के 5 साल तक के बच्चे को यह दवा प्रोटेक्शन के लिये दिया जाता था। मगर अब यह परिवार के सभी सदस्य को दी जा रही है। जिसका सेवन उन्हें लगातार तीन महीने तक करनी है। दवा का सेवन मरीजों के साथ साथ परिवार के सदस्य कर रहे हैं या नहीं इसके लिए सभी प्रखंडों में एसटीएस को गृह भ्रमण करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिसको लेकर इटाढ़ी प्रखंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत क्षेत्र में निगरानी अभियान चलाया जा रहा है।
नियमित रूप से दवा का सेवन करना जरूरी :
इटाढ़ी पीएचसी एसटीएस इंदु कुमारी ने मंगलवार को मुसहर टोली और मल्लाह टोली के मरीजों के घर दस्तक दी। जहां उन्होंने टीबी मरीजों के दवा के सेवन, उनके खानपान, रहने व सोने के तरीकों, मास्क के उपयोग समेत अन्य दिनचर्या की जानकारी ली। उन्होंने मरीजों को नियमित रूप से दवा का सेवन करने की सलाह दी। साथ ही, उनके परिजनों को भी तीन माह तक खाने वाली आइसोनियाजिड दवा के प्रति जागरूक किया। उन्होंने बताया, एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच व इलाज किया जाता है। टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में जब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो जाता है, तो इलाज काफी लंबा और महंगा हो जाता है। इसलिए टीबी की दवा का सेवन नियमित रूप से करें।
बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है दवा :
इटाढ़ी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.  श्रीनिवास उपाध्याय ने बताया, टीबी मरीजों के परिवार के बच्चों में संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। इसलिए बच्चों को वजन के अनुसार आइसोनियाजिड दवा का सेवन कराया जाता है। अमूमन बच्चों को इसकी 100 एमजी की खुराक दी जाएगी। पूर्व में यह दवा टेबलेट के तौर पर उपलब्ध थी, जो कड़वी होती थी। लेकिन, अब इसे टॉफी के तर्ज पर बनाया जा रहा है। जिसकी टैबलेट को बच्चों को चूसना होता है। उन्होंने बताया कि मरीजों के परिवार के लोगों को आइसोनियाजिड का सेवन करना बहुत जरूरी है। जिससे उनके संक्रमित होने की संभावना नहीं होती। लेकिन, इसकी नियमित निगरानी बहुत जरूरी है, क्योंकि कई मामलों में देखा गया है की मरीज या उनके परिजन बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। जिससे बीमारी गंभीर हो जाती है।

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