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उमस भरी गर्मी के दौरान बच्चों में बढ़ता है डायरिया का खतरा- hit-wave




- कुशल प्रबंधन नहीं होने की स्थिति में डायरिया हो सकता है जानलेवा 
- डायरिया के लक्षणों को जानकर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन बेहद जरूरी

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/आरा):- जिले के लोगों को हीट वेव से राहत तो मिल गई है। लेकिन, अब बारिश के बाद तल्ख धूप के कारण उमस भरी गर्मी सताने लगी है। जिसके कारण लोगों का जीना दुभर हो गया है। ऐसे मौसम में जरा सी लापरवाही बीमारियों को न्योता दे सकती है। ऐसे में लोगों और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर शिशुओं और छोटे बच्चों को। क्योंकि बदलते मौसम और उमस भरी गर्मी के दौरान बच्चों में डायरिया की शिकायत बढ़ जाती है। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं। यहां तक कि इस दौरान कुशल प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी हो जाता है। स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े भी इसे शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं। सही समय पर डायरिया के लक्षणों को जानकर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को इस गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
बच्चों को डायरिया से बचाया जा सकता है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं, बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है। लगातार पतले दस्त आना, बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना, प्यास बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना, दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और कभी- कभी स्थिति गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आने लगता है। यहां तक की गंभीर डायरिया बच्चों या वयस्कों को जान का भी खतरा होने की संभावना रहती है।
सेविका या आशा दीदी से करें संपर्क : 
डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि बार- बार डायरिया या दस्त होने से शरीर में डिहाइड्रेशन हो जाता है। जिसको दूर करने के लिए शिशुओं और बड़े बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओआरएस) का घोल पिलाएं। इससे दस्त के कारण पानी के साथ शरीर से निकले  जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) की कमी को दूर किया जा सकता है। माताएं अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका या अपने इलाके की आशा दीदी से संपर्क कर इस बात की जानकारी ले सकती हैं। साथ ही, उनसे ओआरएस का घोल बनाने की विधि और किस उम्र के बच्चे को इसकी कितनी मात्रा व कितने बार दिया जाना है ये भी जान सकती हैं।


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