- अखबारों और न्यूज पोर्टल्स में छपी जानकारी प्रद खबरों के माध्यम से समझाती हैं आशायें और फ्रंटलाइन वर्कर्स
- गर्भवतियों की काउंसिलिंग करने के लिये पैंप्लेट्स और अन्य सामग्री उपलब्ध करायी गई है
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में गर्भवती महिलाओं को टीकाकृत करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें जिले के सभी सरकारी अस्पतलों में अरोग्य दिवस के अवसर पर गर्भवतियों को कोविड वैक्सीनेशन से होने वाले फायदे के बारे में बताया जा रहा है। हालांकि, वैक्सीनेशन की शुरुआत में ग्रामीण इलाकों की महिलाएं स्वास्थ्य केंद्रों पर आने में हिचकिचाती थी। वे भ्रांतियों और दूसरे गांव के लोगों की सुनी-सुनाई बातों में आकर वैक्सीन लगवाने से डरती थी। ऐसा भ्रम फैला था कि जो गर्भवती कोविड वैक्सीन लगवाएंगी उनके बच्चे की जान का खतरा रहेगा। बच्चा समय से पहले पैदा होगा या उसके शरीर की बनावट बिगड़ जाएगी। जिसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर आशा, एएनएम के साथ सहयोगी संस्थानों के लिये कार्य कर रहे फ्रंटलाइन वर्कर्स मसलन आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकायें, जीविका समूह की दीदियां और अन्य लोगों को घर-घर जाकर काउंसिलिंग का जिम्मा दिया गया। जिसके परिणाम सकारात्मक देखने को मिले। लेकिन, अभी भी गर्भवती महिलाओं में वैक्सीन को लेकर असमंजस की स्थिति मौजूद है, जो उन्हें टीका नहीं लेने के लिये मजबूर कर रही है।
अखबारों की मदद से दूर की जा रही है भ्रांतियां :
जिले के नावानगर प्रखंड स्थित पीएचसी की आशा फैसिलिटेटर पुष्पा देवी ने बताया, पूर्व में कोविड वैक्सीनेशन को लेकर गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों में काफी विरोधाभाष देखने को मिलते थे। लेकिन, आरोग्य दिवस पर गर्भवतियों के लिये विशेष ड्राइव शुरू होने के बाद से स्थिति में थोड़ा सा बदलाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया, पहले ग्रामीण इलाकों में काउंसिलिंग के दौरान भी गर्भवतियों को लाख समझाने के बाद भी वह टीका लेने से मना कर देती थी। बाद में अखबारों और न्यूज पोर्टल्स पर गर्भवतियों के लिये टीका लेना अनिवार्य होने की खबरें छपने लगी। जिसके बाद उन्हें टीका लेने के लिये राजी कराना आसान होने लगा। अभी भी कहीं कहीं महिलायें टीका लेने से मना करती हैं। लेकिन, समझाने के बाद वह टीका लेने को तैयार हो जाती है।
बहुत मुश्किल से टीका लेने को तैयार होती है गर्भवती महिलायें :
रहथुंआ स्वास्थ्य उपकेंद्र में कार्यरत एएनएम कांती कुमारी ने बताया, गर्भवती महिलाओं को जागरूक करना और उन्हें टीका के लिये प्रेरित करना पहले टेढ़ी खीर थी। लेकिन, जब से स्वास्थ्य समिति के द्वारा गर्भवतियों की काउंसिलिंग करने के लिये पैंप्लेट्स और अन्य सामग्री उपलब्ध करायी गई है, तब से उन्हें टीका कराने के लिये राजी करने में परेशानी नहीं होती। हालांकि, कुछ महिलायें पारिवारिक दबाव के कारण टीका लेने में आनाकानी करती हैं। लेकिन, तथ्यों के आधार पर उन्हें समझाने के बाद देर सबेर वो भी मान जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को बताया जाता है कि टीका लेने से उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। हां, जो महिलायें 35 वर्ष से अधिक हों, जो मोटापे से ग्रसित हो, मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हो या फिर जिनमें पहले से क्लोटिंग की समस्या है, उनकी पूरी जांच कराने के बाद ही कोरोना का टीका दिया जाता है।
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