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6 माह से ऊपर के शिशुओं का किया गया अन्नप्राशन- chote bachche



(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-  कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं तथा सभी को पोषित करने तथा पोषण का सन्देश घर घर पहुँचाने के लिए अपने स्तर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रयासरत हैं| इसी क्रम में आज सोमवार को जिले में आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा गृहभ्रमण कर 6 माह से ऊपर के शिशुओं का अन्नप्राशन किया गया| कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए सुरक्षा मानकों का पूरे तरह से ध्यान रखा गया| शिशुओं को खीर खिलाकर इसकी शुरुआत की गयी तथा धात्री माताओं एवं परिवार के सदस्यों को पूरक पोषाहार के विषय में एवं साफ़- सफाई के बारे में जानकारी दी गयी|  
स्तनपान के साथ ऊपरी आहार है सुपोषित जीवन की कुंजी: 
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) तारिणी सिन्हा ने बताया बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 6 माह तक का सिर्फ स्तनपान एवं इसके बाद स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार बहुत जरूरी होता है| उन्होंने इस दौरान घर एवं माँ शिशु की साफ़ सफाई की जरूरत पर जोर दिया| उन्होंने बताया  अनुपूरक आहार शिशु के आने वाले जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है| 6 माह से 23 माह तक के बच्चों के लिए यह अति आवश्यक है| 6 से 8 माह के बच्चों को दिन भर में 2 से 3 बार एवं 9 से 11 माह के बच्चों को 3 से 4 बार पूरक आहार तथा 12 माह से 2 साल तक के बच्चों को घर में पकने वाला भोजन भी देना चाहिए| इस दौरान शरीर एवं दिमाग का विकास तेजी से होना शुरू होता है| जिसके लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार बच्चों के सुपोषित जीवन की पृष्ठभूमि तय करता है|
जिला के डुमराव प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 47 की सेविका लीलावती देवी ने बताया गृहभ्रमण के दौरान सभी बच्चों की  माताओं को अनुपूरक आहार के महत्त्व के बारे में जानकारी दी गयी| उन्हें बताया गया कि घर में उपलब्ध सामग्रियों से ही शिशु को पूरी तरह पोषित रखा जा सकता है| माताओं को नियमित स्तनपान कराने की सलाह भी दी गयी|
ऐसे दें बच्चों को पूरक आहार: 
6 माह से 8 माह के बच्चों के लिए नरम दाल, दलिया, दाल -चावल, दाल  में रोटी मसलकर अर्ध ठोस (चम्मच से गिराने पर सरके, बहे नहीं ) , खूब मसले साग एवं फल  प्रतिदिन दो बार 2 से 3 भरे हुए चम्मच से देना चाहिए| ऐसे ही 9 माह से 11 माह तक के बच्चों को प्रतिदिन 3 से 4 बार एवं 12 माह से 2 वर्ष की अवधि में घर पर पका पूरा खाना एवं  धुले एवं कटे फल को प्रतिदिन भोजन एवं नास्ते में देना चाहिए|  
 
पूरक पोषाहार है जरूरी :
 समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के बेहतर पोषण के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है| पूरक पोषाहार के विषय में सामुदायिक जागरूकता के  अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं| इससे बच्चे की शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी अवरुद्ध होता  एवं अति कुपोषित होने से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती है|


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