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55वां श्री सीताराम विवाह महोत्सव में उमड़ा श्रद्धालुओं का भीड़,फुलवारी मंचन के दौरान वैदेही वाटिका में सीता का फूलों से स्वागत- buxar-bihar


बक्सर । पूज्य खाकी व बाबा सरकार की की पुण्यतिथि पर शहर के चरित्रवन में महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय स्थित समाधि स्थल पर संतों व भक्तों ने पूजा दर्शन व श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

वहीं रामलीला में आश्रम के परिकरों द्वारा रात्रि में धनुष यज्ञ लीला का मंचन किया गया। शहर के नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के तत्वावधान में बुधवार को वैदेही वाटिका में 'फुलवारी प्रसंग' का मंचन किया गया। जिसमें आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज ने खुद माली की भूमिका अदा की।



मिथिला के इस मनोरम 'वैदेही वाटिका' में पहली बार प्रभु श्रीराम व माता सीता ने एक-दूसरे को देख मन ही मन एक-दूसरे को वरण करने की कामना की। साकेतवासी महर्षि खाकी बाबा सरकार की निर्वाण तिथि पर आयोजित को दिवसीय 5 में विय-पिय मिलन महोत्सव' के सातवें भगवान की अलौकिक लीला साकार हुआ। इधर, फुलवारी प्रसंग देखने के लिए भव्य पंडाल व आसपास का इलाका श्रद्धालुओं के जनसैलाब से खचाखच भरा था। अलग-अलग प्रजातियों के पुष्पों से लदे पौधों से सुसज्जित विशाल मंच व वहां का पूरा परिवेश फुलवारी का सहज अहसास करा रहे थे। प्रातः कालीन दृश्य के बीच मंच पर गुरू विश्वामित्र के साथ श्रीराम व लक्ष्मण का आगमन होता है। नित्य क्रिया से निबटने के बाद गुरू राजकुमारों को पूजा के लिए पुष्प व तुलसी लाने की आज्ञा देते है।

आज निकलेगी श्रीराम बारात की शोभा यात्राः श्रीराम बारात की शोभा यात्रा गुरूवार को निकाली जायेगी। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। रथों को सजाने-संवारने का कार्य भी पूरा हो गया है। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी राजेश सिन्हा ने बताया कि दोपहर के बाद गाजे-बाजे के साथ श्रीराम की बारात शहर भ्रमण करेगी। बारात का प्रथम पड़ाव एमवी कॉलेज में रहेगा। सुबह के वंदन व पूजन का समय निकलता देख आखिर में प्रधान माली ही रास्ता निकालता है। वे जनक नंदनी की जय बोलने की शर्त रखता है।


पद के माध्यम से श्रीराम अपने कुल व वंश की मर्यादा का हवाला दे जयकारा लगाने से मना कर देते है। इस शर्त को पूरा करने के लिए लक्ष्मण जी भी तैयार नहीं होते है। इस बीच खूब ना-नूकूर होती है। आखिरकार दूसरा कोई रास्ता न देख प्रभु श्रीराम जनक दुलारी सीता जी की जयकार लगाते है। शर्त पूरा करने के बाद भी मालीगण चुटकी लेने का मौका नहीं गंवाते है और पद गायन करते हुए जानकी जी को प्रभु श्रीराम से श्रेष्ठ बताते है। । फिर मालियों की अनुमति के बाद दोनों भाई वाटिका में प्रवेश कर पुष्प चुनने में लग जाते है। इससे पहले श्री सीताराम विवाह महोत्सव के सातवें दिन भी पूर्व की भांति अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गये।

बुधवार को श्री सीताराम विवाह महोत्सव अंतर्गत चल रहे श्रीमद् वाल्मीकि रामायण कथा में कथा व्यास भारत के अप्रतिम विद्वान कौशलेश सदन अयोध्या के पीठाधीश्वर जगगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज श्री विद्या भास्कर जी महाराज ने राम विवाह से आगे की कथा का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कथा प्रारंभ करते हुए कहा कि राम कथा मनुष्य जीवन को पवित्र करने वाली कथा है। यह कथा मोक्षदायिनी है। इस कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है। प्रभु श्रीराम की कथा समस्त जीवों के लिए कल्याणकारी है। उन्होंने उपस्थित भक्तों से आह्वान किया कि हम सभी को श्री रामायण का अध्ययन निश्चित रूप से करना चाहिए। महाराज ने कथा में श्रीराम के विवाह के बाद अयोध्या वापसी और फिर महाराज दशरथ द्वारा उनका राज्याभिषेक करने की घोषणा और कैकेयी द्वारा प्रभु को राजगद्दी नहीं सौंपने की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।





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