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ऐतिहासिक मुशायरे में नामचीन शायरों ने बेहतरीन प्रस्तुति से महफ़िल को बनाया यादगार- mushayra-buxar



बक्सर । "अब मुझे बुरा नहीं कहते, क्या आईना देखने लगे हो तुम. जितना भी छिपा हो तुम मुझसे, अब मुझसे क्यों डरने लगे हो तुम." प्रख्यात शायर सुहैल उस्मानी ने जब यह शायरी कही तो पूरी महफ़िल वाह-वाह कर उठी. मौका था शहर में विगत 15 वर्षों से लगातार आयोजित हो रहे ऐतिहासिक मुशायरे का. मुशायरे ने इस बार सोमवार की शाम को यादगार बना दिया. साबित खिदमत फाउंडेशन बक्सर और गुलशन-ए-अदब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से आए मशहूर शायरों ने अपनी शायरी के माध्यम से शहर को शायरी का नया रंग दिया. शमा की रोशनी में बक्सर का पूरा माहौल शेरो-शायरी से सराबोर हो गया.


मुशायरे में भारत के कई नामचीन शायरों ने शिरकत की, जिनमें पूनम बनारसी, सुहैल उस्मानी, फजीहत गहमरी, निजाम बनारसी, और आज़मी शामिल थे. अंतरराष्ट्रीय शायर और उद्घोषक साबित रोहतासी ने अपने प्रभावशाली शेरों से कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उन्होंने कहा, "मैं अपनी शायरी बक्सर के नाम करता हूं, जो साहित्यकारों और चिकित्सकों की भूमि है." उनकी ओजस्वी वाणी ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और शायरी के प्रति प्रेम को और गहरा किया.


कोरोना महामारी के बाद इस तरह के कार्यक्रमों की कमी महसूस की जा रही थी, लेकिन इस मुशायरे ने शायरी के प्रेमियों को एक बार फिर से एकत्र किया. सुहैल उस्मानी के शेर "अब मुझे बुरा नहीं कहते, क्या आईना देखने लगे हो तुम" ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया, जिस पर उपस्थित डॉ. सी.एम. सिंह ने जोरदार तालियों के साथ स्वागत किया.


डॉ. आशुतोष कुमार सिंह ने अपने ओजस्वी भाषण में साबित खिदमत फाउंडेशन की सराहना की और कहा कि यह संगठन समाज के लिए अच्छा काम कर रहा है. उन्होंने अपने वक्तव्य में शायरों और आयोजकों को बधाई दी और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम श्रोताओं को एक नई ऊर्जा देते हैं. वही अपनी गायकी से नई पहचान बना रहे प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वी.के. सिंह की मधुर आवाज ने श्रोताओं का दिल जीत लिया. वहीं, पूनम बनारसी की प्रस्तुति "जब तेरे मयखाने में तेरी याद संग झूम लेती हूँ" ने पूरे माहौल को तालियों से भर दिया. स्थानीय शायर प्रीतम जी ने अपने हंसी-मजाक भरे अंदाज से समां बांध दिया, जबकि फजीहत गहमरी ने भी अपने हास्य-शेरों से सभी को लोटपोट कर दिया. इस दौरान, सिनियर डिप्टी कलेक्टर अल्लामा मुख्तार ने कहा, "इस तरह के मुशायरे से बक्सर को नई जिंदगी मिलती है."

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने भी शिरकत की. उन्होंने कहा, "इस तरह का कार्यक्रम पहली बार देख रहा हूं और दिल को बहुत खुशी मिली." आरा से आए मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय के जिलाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार गुप्ता ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. उन्होंने कहा, "यह मुशायरा बक्सर को नई जिंदगी दे रहा है, सभी को बधाई."





साबित खिदमत फाउंडेशन अस्पताल के निदेशक तथा मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संस्था के प्रदेश सचिव डॉ. दिलशाद आलम ने भी इस अवसर पर कहा कि, "बक्सर की जनता इस तरह के कार्यक्रमों को बहुत सराहती है और शायर इसके लिए बधाई के पात्र हैं."

कार्यक्रम लगभग रात 10 बजे समाप्त हुआ. अंत में सभी ने भोज का आनंद लिया और शायरी की इस बेहतरीन शाम को यादगार बनाया. उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में फख़्रे आलम, गुलाम सरवर, महताब आलम, डॉ. निसार, इंजीनियर शाहिद, अधिवक्ता हामिद रजा, मुर्शीद रजा, इखलाक अहमद, डॉ. बी.के. सिंह, डॉ. पी.के. पांडेय, डॉ. विजय गुप्ता आदि प्रमुख रूप से शामिल थे.






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