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पल्स पोलियो अभियान : जिले के 2.65 लाख बच्चों को दी जाएगी पोलियो की खुराक- health-department


- 22 सितंबर से शुरू हो रहा पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान, सदर प्रखंड में आशाओं का किया गया उन्मुखीकरण
- एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए 748 टीम का गठन

बक्सर । जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए रविवार यानी 22 सितंबर से पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान का शुभारंभ किया जाएगा। जिसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस क्रम में प्रखंडवार लक्ष्य का वितरण किया जा चुका है। साथ ही, सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ताकि, अभियान के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो। इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति के वरीय पदाधिकारियों ने अभियान को सफल बनाने के लिए जिलेवासियों से भी अपील की। इस क्रम में गुरुवार को सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया गया।
जिसमें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने कहा कि पोलियो भारत से खत्म हुआ है, दुनिया से नहीं। इसलिए जरूरी है कि जब तक दुनिया से पोलियो खत्म नहीं हो जाता अपने बच्चों को पोलियो की दो बूंद समय-समय पर सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के आलोक में पिलायी जाती रहे। उन्होंने बताया पोलियो विषाणु से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है। जो आम तौर पर एक से दूसरे को संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बच्चों के पैर काफी कमजोर पड़ जाते हैं जिससे बच्चा चलने-फिरने से लाचार हो जाता है। इस बीमारी से बचाने के लिए शून्य ये पांच साल तक के बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक पिलानी जरूरी है।

प्रतिदिन अभियान की होगी समीक्षा :

डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के तहत शून्य से पांच वर्ष तक के लगभग 2.65 लाख बच्चों को खुराक पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए कुल 748 टीम गठित की गई है। जिसमें हाउस टू हाउस अभियान के लिए 623 टीम, 112 ट्रांजिट टीम व 13 मोबाइल टीम हैं। वहीं, अभियान की निगरानी के लिए 227 सुपरवाइजर  प्रतिनियुक्त किए गए हैं। पांच दिवसीय अभियान की प्रतिदिन की रिपोर्ट शाम पांच बजे तक सौंपनी है। ताकि, प्रतिदिन अभियान की समीक्षा की जा सके। उन्होंने बताया कि बुखार से पीड़ित बच्चों के माता-पिता उसके ठीक होने के बाद पोलियो की खुराक दिला सकते हैं। उसके अलावा सर्दी खांसी या दस्त है तो भी उसे अवश्य यह दवाई पिलाएं। बच्चे के जन्म पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताह में पोलियो टीकाकरण करवाना चाहिए और 16 से 24 महीने की आयु में बूस्टर डोज दिया जाना अनिवार्य है। मौके पर सदर प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधक प्रिंस कुमार सिंह, बीईई मनोज चौधरी, डब्ल्यूएचओ मॉनिटर भानु प्रताप सिंह, बीएमसी आलोक कुमार के अलावा आशा कार्यकर्ताएं मौजूद रहीं।



बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय :

इस संबंध में प्रभारी सिविल सर्जन सह सीडीओ डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो विषाणु से मुख्यतः छोटे बच्चों में होता है। यह बीमारी बच्चे के अंगों को जीवन भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो लाइलाज है क्योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता, बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है। मल पदार्थ में पोलियो का वायरस जाता है। ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन करने से यह रोग होता है। यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर रोग फैलाता है। पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मेडुला की बीमारी है। स्पाइनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सा है जो रीड की हड्डी में होता है। पोलियो मांसपेशी हड्डी की बीमारी नहीं है। बच्चों में पोलियो विषाणु के विरुद्ध किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है , इसी कारण यह बच्चों में होता ।





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