- निक्षय मित्र योजना : चार प्रखंडों को गोद लेकर डुमरांव विधायक ने प्रस्तुत किया उदाहरण
- निक्षय मित्र बन संबंधित प्रखंडों के मरीजों का कराएं इलाज और मार्गदर्शन
बक्सर | जिले के टीबी मरीजों के लिए निक्षय मित्र योजना एक वरदान की तरह सामने आ रही है। योजना के तहत निक्षय मित्र बनने के लिए लोग बढ़-चढ़कर अपनी सहमति दे रहे हैं। ताकि, वे जिले के टीबी मरीजों के इलाज के लिए अपना सहयोग प्रदान कर सकें। निक्षय मित्र योजना के तहत अब तक दर्जन भर से अधिक जनप्रतिनिधि व लोगों ने अपनी सहमति जताई है। इस क्रम में डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के एमएलए डॉ. अजीत कुमार कुशवाहा ने अपनी सहमति जताते हुए कुल चार प्रखंडों को गोद लेने का भरोसा दिया है। डुमरांव विधायक चौगाई, नावानगर, डुमरांव और केसठ प्रखंड को गोद लेकर टीबी मरीजों के इलाज में विभाग का सहयोग करेंगे। उन्होंने जिले के सामर्थ्यवान लोगों से इस योजना के तहत निक्षय मित्र बन टीबी मरीजों की मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर जरूरतमंद टीबी मरीजों की मदद करनी होगी। टीबी मरीजों की मदद कर जिले को टीबी से मुक्त बनाना करना जिम्मेदारी है। निक्षय मित्र कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य टीबी रोगियों को गोद लेकर उनका पोषण एवं चिकित्सीय जरूरतों को पूरा करना है। समाज में टीबी रोगियों के प्रति भेदभाव करने को लेकर नजरिया बदलना होगा।
टीबी उन्मूलन की दिशा में विभागीय कार्यों में आई है तेजी :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया कि विभाग द्वारा पूरे देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके आलोक में राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से टीबी उन्मूलन की दिशा में हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अपने संसाधनों एवं नई-नई तकनीक के सहारे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिले में टीबी मरीजों की खोज आशा कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए सभी तरह के इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी मरीज़ों की सुविधाओं को देखते हुए जांच की सुविधा के साथ ही दवा की भी उपलब्धता है। जिसका लाभ लोगों को जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक मिल रहा है।
टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं वरदान :
डॉ. अनिल भट्ट ने बताया कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का अहम योगदान है। अमीर हो या गरीब, हर तरह के रोगियों के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क दवा तो मिलती ही है, साथ ही साथ पौष्टिक आहार खाने के लिए पैसा भी मिलता है। यह योजना टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसीलिए लोगों को टीबी जैसे संक्रमण से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सरकार की ओर से मरीज़ों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठाकर टीबी जैसी बीमारी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है। उन्होंने बताया कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो टीबी की जांच जरूर कराएं।
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