- ठंड के समय निमोनिया बच्चों के लिये जनलेवा, साफ सफाई पर ध्यान देने की ज्यादा जरुरत
- बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में ठंड का आगमन तो पहले ही हो चुका था, अब बेमौसम बारिश ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। ऐसे में सर्द मौसम व संक्रमण के कारण बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा होता है। इसलिए इस मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में होने वाली मौतों में निमोनिया एक प्रमुख कारण है। निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया बैक्टेरिया, माइक्रोबैक्टेरिया, वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।
निमोनिया से बचाव के लिये पीसीवी का टीका जरूरी :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया, निमोनिया एक संक्रामक रोग है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को द्रव या मवाद से भरकर उसमें सूजन पैदा करता है। इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए इस मौसम में शिशुओं को ठंड से बचाना चाहिए। इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को जरुर लगवाना चाहिए। आमतौर पर निमोनिया से शिशुओं, बच्चों एवं 65 वर्ष से ऊपर आयु वाले लोगों या कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली वाले लोगों को अधिक खतरा होता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो छींकने या खांसने से फैल सकता है। जिले में सर्दी के मौसम के शुरुआत से ही बच्चों में निमोनिया एवं ठंड से जुड़ी अन्य बीमारियों में बढ़ोत्तरी हुयी है।
संपूर्ण टीकाकरण निमोनिया को करेगा दूर :
बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है. इसके अलावा, डिप्थीरिया, काली खांसी और एचआईवी के इंजेक्शन भी निमोनिया से बचाव करते हैं। निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है। छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। समय-समय पर बच्चे के हाथ भी जरूर धोना चाहिए। बच्चों को प्रदूषण से बचायें और सांस संबंधी समस्या न रहें इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। बच्चों के रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त पोषण दें। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है। भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
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