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दंपति संपर्क पखवाड़ा में पुरुषों को दी जा रही है नसबंदी की पूरी जानकारी- social faimly





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- हमारे समाज में छोटा परिवार सुख का आधार माना जाता रहा है। अनियंत्रित ढंग से बढ़ती जनसंख्या  गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी व सामाजिक असंतुलन की खाई चौड़ी कर रही है। जिसे देखते हुये सरकार के निर्देश पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से परिवार नियोजन पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। इस क्रम में आगामी 10 जुलाई तक जिले के सभी वार्डों में दंपति संपर्क पखवाड़ा चलाया जा रहा है। जिसमें लोगों को अस्थायी नियोजन के साधनों का वितरण किया जा रहा है। तत्पश्चात, 11 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक स्थायी नियोजन के लिये बंध्याकरण व नसबंदी का ऑपरेशन किया जायेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष संक्रमण काल में 225 महिलाओं ने बंध्याकरण और 10 पुरुषों ने नसबंदी करायी थी। ऐसे में पुरुषों को नियोजन की महत्ता को देखते हुये जागरूक होना होगा। करेंट ओबस्ट्रेटिक गायनाकोलोजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी 20 गुना जटिलता से भरी  होती  है। पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी के फेल होने की संभावना भी 10 गुना अधिक होती है। साथ ही, पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में तीन गुना कम महंगा होता है। इसलिये विभाग द्वारा इस बार पुरुषों को अधिक संख्या में नसबंदी कराने के लिये प्रेरित किया जायेगा।
सभी सरकारी अस्पतालों में दो दिन लगेगा शिविर :
जिला स्वास्थ्य उत्प्रेरक संतोष कुमार राय ने बताया, महिला बंध्याकरण ऑपरेशन की तुलना में पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया काफी सरल है। नसबंदी को लेकर पुरानी धारणा को बदलने की जरूरत है। जिले में सदर अस्पातल और डुमरांव अनुमंडल अस्पताल के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों पर परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत 11 जुलाई से लेकर  31 जुलाई के बीच दो दिन बंध्याकरण और नसबंदी के लिये शिविर का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा, समाज में अब भी यह धारणा है कि नसबंदी कराने के बाद पुरुषों में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है या कमजोरी आ जाती है। उन्होंने बताया, बिना टांका एवं चीरा एक घंटे के भीतर होती  है नसबंदी। जिसके बाद किसी भी प्रकार की शारीरिक एवं यौन दुर्बलता नहीं होती है। नसबंदी के बाद अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती, नसबंदी के बाद किसी भी प्रकार के दूरगामी स्वास्थ्य जटिलताएं नहीं होती।
भ्रांतियों के कारण नसबंदी से हिचक रहे पुरुष : 
समाज में फैली भ्रांतियों के कारण पुरुष नसबंदी करवाने से हिचकिचाते हैं। नसबंदी से मर्दाना ताकत में कमी सहित शारीरिक कमजोरी जैसी भ्रांतियों के कारण लोग इससे डरते हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। वैज्ञानिक रूप से किसी प्रकार की कमजोरी पुरुष को नहीं होती है। इसका ऑपरेशन पहले की तुलना में अब अधिक आसान हो गया है। वहीं, नसबंदी कराने वाली महिलाओं को 2000 रुपये व पुरुषों को 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ ही, महिलाओं के प्रेरक को 300 व पुरुषों के प्रेरक को 400 रुपये दिये जाते हैं। बावजूद लोगों की पुरानी सोच पुरुष नसबंदी में बाधक बनी हुई है। ऐसे में आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं की मदद से महिलाओं को जागरूक करके उनके पुरुषों को प्रेरित किया जा सकता है।


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