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सदर प्रखंड के छोटका नुआंव में 4 अगस्त तक चलेगा कालाजार के खिलाफ अभियान- district health






(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव अभियान अब अंतिम चरण में है । बुधवार को जिले के सदर प्रखंड स्थित छोटका नुआंव गांव में दवाओं का छिड़काव शुरू हुआ है। जो आगामी चार अगस्त तक चलेगा। अभियान के तहत गांव के 832 घरों में स्थित 2838 कमरों में 84 किग्रा सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव होना है। इसके लिए जिला स्तर से दो टीम बनाई गई है, जो तय सीमा अवधि पर काम को समाप्त करेंगे। छिड़काव के पूर्व आशा, फैसिलिटेटर व प्रखंड स्तर के कर्मियों व अधिकारियों को लोगों को जागरूक करने का जिम्मा दिया गया था। उल्लेखनीय है राज्य सरकार के निर्देश पर 15 जुलाई से जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान के तहत छिड़काव अभियान शुरू हुआ। जिसके तहत 11 प्रखंडों के 5 गांवों के 32904 प्रभावित लोगों कालाजार के प्रकोप से बचाने के लिए 5524 घरों में स्थित 17576 कमरों में छिड़काव की योजना बनाई गई थी। अब तक चार गांव में छिड़काव का काम पूरा हो चुका है।
बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस (बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का ट्रांसमीटर है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है, तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है। कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये  की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।
 रोगियों को चिह्नित  करने के लिए लगाया जाएगा रात्रि शिविर :
डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया जल्द ही रात में निर्धारित गांव में जांच अभियान चलाया जाएगा, जिससे इस बीमारी से ग्रसित लोगों की पहचान में मदद मिलेगी। रात में शिविर लगाकर जांच इसलिए की जाती है, क्योंकि अंधेरे में कालाजार के परजीवी एक्टिव होते हैं । जो आसानी से पकड़ में आ जाते हैं । उन्होंने बताया, कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने के लिए घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक छिड़काव होता है। लोगों को प्रत्येक घरों में अवश्य छिड़काव करानी चाहिए, चाहे वह पूजा घर हो, बाथरूम हो या मवेशियों का स्थान। सभी जगहों पर छिड़काव कराने से कालाजार संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। छिड़काव के दो घन्टे के बाद घर में प्रवेश करना चाहिये। साथ ही छिड़काव के छह महीने तक घर में रंगरोगन या पेंटिग नहीं करानी चाहिए। इसे लेकर लोगों को जागरूक करने की ज़रूरत है।


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