बक्सर । ब्रह्मपुर प्रखंड अंतर्गत रघुनाथपुर गाँव का खास महत्व है. माना जाता है कि रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा ही इस गाँव का नामकरण किया गया था. उनसे सम्बंधित एक पौराणिक स्थल तुलसी आश्रम आज भी आस्था का केंद्र है. वही अब इस स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित करने तथा रामायण सर्किट से जोड़ने की मांग समाजसेवी शैलेश ओझा ने उठाई है.
ब्रम्हा जी के द्वारा स्थापित बाबा बरमेश्वर नाथ का दरबार सौंदर्यीकरण और उद्धघाटन के बाद अपनी भव्यता से दर्शनार्थियों को आकृष्ट कर रहा है। अद्भुत और अलौकिक। इस मंदिर के बारे में जानकारी अनेकों पुराणों में भी मिलता है। शिव महापुराण की रुद्र संहिता के अनुसार यह शिवलिंग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने के कारण इनका दूसरा नाम मनकामेश्वर महादेव भी है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का महत्व अन्य ज्योतिर्लिंग से किसी मायने में कम नही है। यह मंदिर स्थानीय लोगो के साथ दूर दराज के भक्तों का भी आस्था का प्रमुख केंद है और हर साल सावन में दूर दराज के लाखों दर्शनार्थी यहां जलभिषेक करने आते है। यह मंदिर रघुनाथपुर स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर उतर में स्थित है मगर रघुनाथपुर में दूर दराज से आने वाली मात्र एक दो एक्सप्रेस ट्रेनों का ही ठहराव है और यात्री सुविधाओं की भी घोर अभाव है। हालांकि रघुनाथपुर को अब अमृत भारत योजना में शामिल कर लिया गया है और इसे विकसित स्टेशन बनाने के बड़े बड़े दावे भी किए जा रहे है। रघुनाथपुर का भी अपना धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। संत तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के कुछ अंश संभवत सुंदरकांड की रचना अपने रघुनाथपुर प्रवास के दौरान ही की थी।
आज वो जगह तुलसी आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। रघुनाथपुर का नामकरण तुलसीदास जी ने ही अपने आराध्य श्रीराम के नाम पर किया था। किवन्दतियो के अनुसार तुलसीदास जी यहां रहा करते थे। बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित शाहाबाद गजेटियर 1966 भाग 3 अध्याय 13 में शिक्षा एवं संस्कृति शीर्षक के अंतर्गत भी इसका जिक्र है। प्रभु श्रीराम त्रेता युग में बक्सर आए थे उस समय रघुनाथपुर वन क्षेत्र हुआ करता था और प्रभु श्रीराम के चरण कमल यहां भी पड़े थे। राम लला प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर 22 जनवरी को यहां भव्य रामोत्सव का आयोजन किया गया था। संभवतः अयोध्या के बाद रघुनाथपुर वो दूसरी जगह है जहां राम लला के उसी प्रतिरूप की आरती की गई जिस रूप की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में की गई। लंबे अरसे से यहां के स्थानीय लोग रघुनाथपुर को रामायण सर्किट में शामिल करने की मांग करते आ रहे है। ग्रामीणों का ये भी कहना है की सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा बाबा बरमेश्वर नाथ से तुलसी आश्रम को जोड़ते हुए कारीडोर का निर्माण किया जाना चाहिए। अयोध्या, हरिद्वार, देवघर, वाराणसी, उज्जैन सहित अन्य धार्मिक और ज्योतिर्लिग तक जाने वाली ट्रेनों का ठहराव रघुनाथपुर में होना चाहिए। रामायण सर्किट में शामिल होने, कारीडोर बनने और मंदिर के सौंदर्यीकरण से दूर दराज के दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ेगी और निश्चित रूप से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
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