Ad Code


भटवलिया में मिला सात वर्षीय कुष्ठ का मरीज, चाचा से हुआ था संक्रमित




- स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में चलाया गया खोजी अभियान, आसपास के 30 लोगों की हुई जांच
- परिवार के 15 लोगों को खिलाई गई सिंगल डोज रिफाम्पिसिन की दवा, ताकि भविष्य में न हो कोई संक्रमित

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- कुष्ठ संक्रामक रोग नहीं है। लेप्रोसी की बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नाम के बैक्टीरिया के कारण होती है। लेकिन, माना जाता है कि यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के स्राव के संपर्क में आने से फैल सकती है। रोगी के खांसने या छींकने से इसके बैक्टीरिया हवा में फैलकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन लंबे समय तक रोगी के लगातार संपर्क में रहने से कुष्ठ की बीमारी हो सकती है। ऐसी की कहानी जिले के सदर प्रखंड स्थित भटवलिया गांव के सात वर्षीय बच्चे राज कुमार (काल्पनिक नाम) की है। जिसे कुष्ठ का संक्रमण अपने चाचा राजगृही राम से मिला। मामले की सूचना पर सदर प्रखंड की टीम मौके पर पहुंची और जांच की। जांच के क्रम में पाया गया कि राजगृही राम लंबे से कुष्ठ के मरीज रहे हैं। जिनका इलाज भी चल रहा था। लेकिन, उनकी लापरवाही के कारण अब उनका भतिजा भी कुष्ठ का मरीज बन गया है।
आसपास के लोगों में लक्षणों की हुई जांच :
मंगलवार को भटवलिया पहुंचे पारा मेडिकल वर्कर नागेश दत्त पांडेय और वीबीडीएस अभिषेक कुमार ने आसपास के लोगों में कुष्ठ के लक्षणों की जांच की। लेकिन, कोई भी अन्य व्यक्ति इससे ग्रसित नहीं पाया गया। लेकिन, एहतियातन मरीज के परिवार में शामिल 15 लोगों को सिंगल डोज रिफाम्पिसिन (एसडीआर) की दवा खिलाई गई। ताकि, भविष्य में कुष्ठ की चपेट में परिवार का कोई अन्य सदस्य न आ जाये। इसके अलावा पीएमडब्लू नागेश दत्त पांडेय ने ग्रामीणों को बताया कि कुष्ठ के मरीजों को काफी सावधानी और सतर्कता के साथ रहना होता है। उन्होंने बताया, आम तौर पर 98 प्रतिशत से अधिक व्यक्ति इस रोग से बचाव के लिये आवश्यक प्रतिरोधात्मक क्षमता रखते है, शेष दो प्रतिशत से भी कम व्यक्ति संक्रामक रोगी के संसर्ग में आने पर रोग से ग्रसित हो सकते हैं।
लक्षणों की पहचान जरूरी : 
त्वचा पर घाव होना कुष्ठ रोग के प्राथमिक बाह्य संकेत हैं। यदि इसका उपचार न किया जाए तो कुष्ठ रोग पूरे शरीर में फैल सकता है। जिससे शरीर की त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों सहित शरीर के कई भागों में स्थायी क्षति हो सकती है। इस रोग से त्वचा के रंग और स्वरूप में परिवर्तन दिखाई देने लगता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर रंगहीन दाग हो जाते हैं, जिन पर किसी भी चुभन का रोगी को कोई असर नहीं होता। इस रोग के कारण शरीर के कई भाग सुन्न भी हो जाते हैं। इसलिए इसके लक्षणों की पहचान जरूरी है। ताकि, समय पर इसका इलाज शुरू हो सके।‘ – डॉ. शालीग्राम पांडेय, जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, बक्सर



................. ................. ............... ..............
Send us news at: buxaronlinenews@gmail.com

ख़बरें भेजें और हम पहुंचाएंगे, 
आपकी खबर को सही जगह तक.... 






 



Post a Comment

0 Comments

Close Menu