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शिशुओं और बच्चों में डिहाइड्रेशन के लक्षणों को अनदेखा न करें - buxar-district




- डायरिया से बचाव के लिये ओआरएस और जिंक का घोल पिलाना अनिवार्य
- शिशुओं को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिये नियमित रूप से करायें स्तनपान 

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/आरा):- जिले में मौसम में उतार-चढ़ाव लगातार जारी है। ऐसे में दिन भर उमसभरी गर्मी के कारण बड़ों के साथ-साथ शिशुओं, नवजातों और बच्चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की गर्मी बच्चों को काफी जल्दी प्रभावित करती है। जिसके कारण बच्चे डिहाइड्रेशन व डायरिया की चपेट में जल्द आ जाते हैं। जिसका ससमय प्रबंधन और ख्याल न रखा जाए तो यह गंभीर हो सकता है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर अभी किसी का भी ज्यादा बीमार पड़ना उचित नहीं है। इसलिए बच्चों में डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें। उन्हें डिहाइड्रेशन से बचा कर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया से सुरक्षित रखें।  
नियमित स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव  : 
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, जब शिशुओं और बच्चे डायरिया की चपेट में आते हैं, तो उनको ज्यादा दस्त होती है। जिसकी वजह से बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए पानी की कमी दूर करने और डायरिया से बचाने के लिए बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्युशन (ओआरएस) और जिंक का घोल पिलाना अनिवार्य है। वहीं, शिशुओं को अधिक से अधिक स्तनपान करवाएं। छह माह तक नियमित स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया के अलावा इन्य अन्य गंभीर रोगों से बचाव होता है। इसलिए बाहर का कुछ भी नहीं पिलाएं, केवल उनको स्तनपान ही करवाएं। 
लक्षणों की आसानी से पहचान कर सकती हैं माताएं : डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है।  
लगातार पतले दस्त आना 
बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना 
प्यास बढ़ जाना 
भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना 
दस्त के साथ हल्के बुखार का आना 
कभी कभी स्थित गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आने लगता है 
दस्त के कारण एल्क्ट्रोलाइट्स की हो जाती है कमी :
दस्त के कारण शरीर से पानी के साथ जरूरी तत्व या एल्क्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटैशियम क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट भी कम हो जाता है। इसलिए उसकी कमी दूर करने के लिए बच्चों को ओआरएस और जिंक का घोल दें। जिससे डिहाइड्रेशन में कमी और डायरिया से बचाव होगा। लेकिन यदि लगातार ओआरएस का घोल देने के बाद भी राहत न मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक के पास जाएं, ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके। ऐसे स्थिति ज्यादा देर होने से बच्चे को अन्य गंभीर रोगों जैसे एक्यूट ब्लडी डायरिया आंत में संक्रमण, अतिकुपोषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस के पैकेट निःशुल्क उपलब्ध हैं, इन्हें आसानी से घरों में भी बनाया जा सकता है। लेकिन इन्हें बनाते समय स्वच्छता का ख्याल रखना आवश्यक है। घोल बनाने के लिए साफ पानी और बर्तन का इस्तेमाल करें। घोल बनाने का पानी उबाल कर ठंडा कर इस्तेमाल में लाएं तथा एक बार में उतना घोल ही बनाएं जितना आपका बच्चा पी सके। ज्यादा देर पहले बने ओआरएस का घोल ना पिलायें।



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