- सदर प्रखंड में आशा फैसिलिटेटर की हुई बैठक, दिए गए दिशा निर्देश
- गर्भवतियों व उनके परिजनों को सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने को प्रेरित करेंगी आशा
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- कोरोना काल के बाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में कई कार्य किए जा रहे हैं। इन्हीं सेवाओं में से एक संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली। इसके लिए जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर सदर प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सभागार में बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें आशा फैसिलिटेटर को विभागीय दिशा निर्देशों से अवगत कराया गया। बैठक में बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को रणनीति के तहत कार्य करना होगा। सरकारी संस्थानों में संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को सबसे पहले गर्भधारण के प्रथम तिमाही में पहला प्रसव पूर्व जांच तथा 36 से 40 सप्ताह के बीच में चौथा प्रसव पूर्व जांच एएनएम व आशा कार्यकर्ता सुनिश्चित कराएंगी। जिसमें पहली जांच 12 सप्ताह के अंदर, दूसरी जांच 20 से 26 सप्ताह, तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह के अंदर तथा अंतिम जांच 36 सप्ताह से प्रसव तक कराना सुनिश्चित कराना है।
संभावित प्रसव की सूची पीएचसी में उपलब्ध करानी है :
बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह ने कहा, सभी आशा कार्यकर्ता अप्रैल माह से प्रत्येक माह अपने इलाके में होने वाले संभावित प्रसव की सूची पीएचसी में उपलब्ध कराएंगी। साथ ही, वे गर्भवती महिलाओं व उनके परिजनों को सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए भी प्रेरित करेंगी। उन्होंने बताया, गर्भ के दौरान गम्भीर समस्याओं से बचने के लिये गर्भवती महिलाओं को वज़न, रक्तचाप, ब्लड शुगर, खून और पेशाब की नियमित जांच करने के लिए जागरूक करना है। साथ ही, एनीमिया से बचने के लिए आयरन की 180 गोली खिलानी है। जिसका फॉलोअप जरूरी है। वहीं, गर्भ के दौरान 4 बार जांच कराने व दो टीटी के इंजेक्शन दिलाना भी सुनिश्चित करेंगी। बैठक में प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक मनोज चौधरी के अलावा आशा फैसिलिटेटर मीरा देवी, अर्चना श्रीवास्तव, प्रेमशिला देवी, माया देवी व अन्य शामिल रहीं।
गर्भवतियों के नि:शुल्क इलाज की भी व्यवस्था है :
बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह के कहा, सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच, प्रसव व इलाज की व्यवस्था है। जांच में यदि गर्भवती महिला में खून की कमी है, तो उसका नि:शुल्क इलाज की भी व्यवस्था है। सामान्य प्रसव होने पर कम से कम 48 घंटे और ऑपरेशन से डिलीवरी होने पर सात दिन तक जच्चा-बच्चा को भर्ती कर निशुल्क सुबह-शाम नास्ता, दोपहर और रात में संतुलित भोजन मिलना है। डिस्चार्ज के साथ ही ग्रामीण महिला को 1400 और शहरी महिला को 1000 प्रोत्साहन उनके खाते में दिया जाता है। बावजूद सरकारी अस्पतालों में लक्ष्य के हिसाब से संतोषजनक प्रसव नहीं हो रहे हैं। सरकारी अस्पताल की जगह प्राइवेट हास्पिटल में लोग प्रसव करा रहे हैं। जिसे कंट्रोल करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन ने डिलीवरी प्वाइंट को अपडेट करने का निर्णय लिया है।
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