- बच्चों में डायरिया के लक्षणों को अनदेखा न करें, ओआरएस का घोल पिलायें
- 45 फीट से कम गहरे बने हुए चापाकलों का पानी होता है संक्रमित, सेवन करने से बचें
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/आरा):- जिले में गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में सभी उम्र वर्ग के लोगों को भोजन के प्रति सजग और सचेत रहना होता है। इस मौसम में ज्यादा मसालेदार और तली हुई सामग्री खाने से परेशानियों को सामना करना पड़ सकता है। विशेषकर बच्चों के खानपान का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। क्योंकि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण उनके डायरिया से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। सामान्य परिस्थितियों में, डायरिया केवल विशेष चिकित्सा उपचार की आवश्यकता के बिना 2-4 दिनों तक रहता है। हालांकि, गंभीर डायरिया किसी के भी जीवन के लिए खतरा हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि डायरिया के कारण शरीर लगातार तरल पदार्थ खो देता है। जिससे शरीर में पानी के कमी के कारण निर्जलीकरण हो सकता है। कुपोषित लोगों, शिशुओं, छोटे बच्चों, कुपोषित और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में इस तरह के खतरनाक संक्रमण का शिकार होने का खतरा अधिक होता है।
उल्टी दस्त की शिकायत होने पर ओआरएस का घोल देना चाहिए :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, जागरूकता के अभाव के कारण बच्चों को उल्टी दस्त के दौरान खाना देना बंद कर दिया जाता है। जिससे बच्चे को अधिक कमजोरी बढ़ जाती है। बच्चे को खानपान बंद नहीं करना चाहिए और बच्चों को उल्टी दस्त की शिकायत होने पर ओआरएस का घोल देना चाहिए। जिससे बच्चे के शरीर में पानी की कमी ना हो। साथ ही उन्हें ज्यादा से ज्यादा तरल भोजन दें। उन्होंने कहा कि उल्टी दस्त की शिकायत पर अभिभावक नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या आंगनबाड़ी में जाकर पर्याप्त मात्रा में जिंक और ओआरएस घोल ले सकते हैं। इसकी आसान बनाने की विधि भी अभिभावक समझकर घर में ही उल्टी दस्त के प्रकोप होने पर उपचार कर सकते है।
45 फीट से अधिक गहरे बने हुए चापाकलों का ही पानी बच्चों को देना चाहिए:
डॉ. सिन्हा ने बताया, जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी दस्त नियंत्रण एवं इसके रोकथाम के लिए लोगों को ओआरएस पैकेट एवं जिंक की दवा दी जाती है। साथ ही संबंधित स्वास्थ्य केन्द्रों के एएनएम एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी द्वारा दस्त के लक्षणों एवं इसकी रोकथाम के विषय में लोगों को जागरूक भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि 45 फीट से कम गहरे बने हुए चापाकलों का पानी संक्रमित होता है एवं इस पानी के सेवन करने से दस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए 45 फीट से अधिक गहरे बने हुए चापाकलों का ही पानी बच्चों को देना चाहिए। इसके अलावा संग्रहित पानी के जैविक संक्रमण को समाप्त करने के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
लक्षणों को नहीं करें अनदेखा :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में 24 घंटे के दौरान तीन या उससे अधिक बार पानी जैसा दस्त आना डायरिया है। डायरिया जीवाणु व विषाणु संक्रमण के कारण तो होता ही है। परंतु सबसे सामान्य कारण है प्रदूषित पानी, खान-पान में गड़बड़ी और आंत में संक्रमण। डायरिया से शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे डीहाईड्रेशन कहते हैं। इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और अगर समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिये शरीर में पानी की कमी को देर करने के लिये ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिये।
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