(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- कोरोना महामारी ने हम सबका जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। यह महामारी कब तक रहेगी, कोई नहीं जानता है। संक्रमण की पहली लहर में लगभग तीन महीने और दूसरी लहर में लगभग 2 माह लॉक डाउन ने हमें कई बातों को बारीकी से सोचने और समझने का समय दिया है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए जिले में कोविड-19 वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है। लेकिन, अभी भी वैक्सीनेशन को लेकर कई छोटी-छोटी भ्रांतियां और असमंजस लोगों के वैक्सीनेशन में बाधक बन रहा है। जिसको दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं सहयोगी संस्थायें लगी हुई हैं । ताकि, लोगों के दिमाग से वैक्सीनेशन को लेकर ऊहापोह की स्थिति को साफ किया जा सके।
जागरूकता अभियान में यूनिसेफ की महत्वपूर्ण भूमिका :
राज्य सरकार के द्वारा गत दिनों वैक्सीनेशन को लेकर विभिन्न स्तर पर जागरुकता अभियान चलाये गए। जिनका संचालन अब भी किया जा रहा है। इस अभियान में यूनिसेफ की टीम की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चाहे वो धार्मिक भ्रांतियों को दूर करने हो या फिर गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन के प्रति प्रेरित करने में हर स्तर पर यूनिसेफ की टीम लोगों तक वैक्सीन को लेकर सही और सटीक जानकारी पहुंचा रही है। जिससे कोविड-19 टीकाकरण में गति देखने को मिली है। यूनिसेफ की सोशल मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर (एसएमसी) शगुफ्ता जमील ने अनलॉक के अनुभव को साझा करते हुए कहा, फिलवक्त जिलेवासी इस महामारी को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं । ऐसे हालातों में सरकार के साथ-साथ समाज की जिम्मेदारी है कि महामारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन करवाने के लिए जागरूक हों । साथ ही, यह हमारा कर्तव्य है कि हम समाज को वैक्सीन लगवाने से संकोच न करने में मदद करें।
धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं को समानांतर कर समझा :
एसएमसी शगुफ्ता जमील ने बताया, वैक्सीन लगवाने के प्रति हिचकिचाहट दशकों से है। नए और अंजान वायरस के लिए जब वैक्सीन आती है, तो वैक्सीन के प्रति आशंका होना लाजिमी है। वैक्सीनेशन अभियान के शुरुआती दिनों में टीकाकरण को लेकर कई बाधाएं सामने आईं। अलग अलग स्थानों पर अलग अलग कारक थे। जिसके कारण लोग वैक्सीन लेने के प्रति उदासीन थे। जिनको दूर करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने बताया, समुदाय स्तर पर भी लोगों के मन मे वैक्सीन के प्रति रूढ़िवादिता देखने को मिली। लेकिन, जब लोगों को वैक्सीनेशन के लिए धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं को समानांतर कर समझाया गया, तब जाकर लोग वैक्सीन लेने को इच्छुक हुए।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं :
शगुफ्ता जमील के अनुसार महामारी से मुक्ति के लिए कोरोना वैक्सीन पर विभिन्न स्तर पर काम किया जा रहा है। यूनिसेफ की टीम फेस टू फेस के साथ-साथ समुदाय में भी इसकी चर्चा कर रही है। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। ताकि विशेष रूप से समाज और सामान्य जनता वैक्सीन के बारे में ज्यादा जान सके और वे उनमें वैक्सीन के प्रति उपजी आशंका ख़त्म हो सके। उन्होंने बताया, यह वायरस कब तक रहेगा, कोई नहीं जानता है। इसलिए अब हमें स्वयं को जागरूक और सतर्कता के साथ सबसे पहले वैक्सीनेशन कराना होगा और लोगों को प्रेरित करना होगा। हमें जीने के तरीके बदलने होंगे । यह हमारा भी दायित्व है कि जो लोग वैक्सीन लेने में कतरा रहे हैं, उनको प्रेरित कर दोनों डोज लगवाएं। जब जिले में निर्धारित उम्र वर्ग के 100 फीसद लाभुक वैक्सीनेशन ले लेंगे, तभी जाकर यह अभियान पूरी तरह सफल होगा।
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